प्रधानमंत्री आवास योजना के पैसे से किसी ने दारू पी, किसी ने उधारी चुकाई

श्योपुर । श्योपुर जनपद की नगदी ग्राम पंचायत के हांसापुर गांव निवासी विनोद पुत्र भगोली आदिवासी को पीएम आवास के लिए दो किश्तों के 80 हजार रुपये मिले। इन 80 हजार से दासा लेवल तक आवास का निर्माण कराया, जिसमें 35-40 हजार रुपये खर्च हुए। दूसरी किश्त के 40 हजार रुपये मिले तो शराब पीने में खर्च कर दिया। अब उसके आवास का काम अधूरा पड़ा है।

ऐसा केवल विनोद ही नहीं है, जिले में 65 से ज्यादा ऐसे हितग्राही हैं जो पीएम आवास की राशि से या तो शराब पी गए या किसी ने ट्रैक्टर खरीद लिया तो किसी ने उधारी चुका दी। कई ऐसे भी हितग्राही हैं जो आवास की राशि मिलने के बाद गांव से ही गायब हो गए। अधिकारी-कर्मचारियों की फजीहत हो गई है, जिन्हें सरकार ने हर हाल में आवास का काम समय पर पूर्ण कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। इस योजना के पहले चरण के तहत 10 हजार 60 हितग्राहियों को आवास दिए जा रहे हैं।

कोई ट्रैक्टर ले आया तो किसी ने चुकाया कर्ज 
मेवाड़ा गांव के राधेश्याम पुत्र मोरूलाल बैरवा को पहली किश्त के 40 हजार मिले। इस राशि से राधेश्याम ने पुराना कर्जा चुका दिया। आवास रत्तीभर नहीं बना। रामनिवास पुत्र मोहरलाल निवासी मेवाड़ा ने आवास का काम शुरू भी नहीं किया और पहली किश्त के 40 हजार रुपये से ट्रैक्टर ले आया। बासोंदा ग्राम पंचायत के धानोदा गांव निवासी मोरपाल पुत्र रामनाथ माली को 40 हजार मिले। घर बनाने के बजाय मोरपाल तीन महीने पहले 40 हजार को लेकर गांव से ही फरार हो गया। कराहल के मुकेश आदिवासी को 40 हजार रुपये मिले, लेकिन वह आवास बनाने की बजाय 40 हजार रुपये लेकर जयपुर चला गया है और वहां इन पैसों से रोजगार करने लगा है।

सरपंच के पुत्र ने भी खर्च कर दिया पैसा
कराहल जनपद के लुहारी ग्राम पंचायत के सरपंच धनराज आदिवासी के बड़े बेटे मनकीलाल को भी पीएम आवास स्वीकृत हुआ है, लेकिन सरपंच के बेटे ने आवास का काम शुरू भी नहीं किया और पहली किश्त के 40 हजार रुपये खर्च कर दिए।

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