बैडमिंटन: अश्‍विनी पोनप्‍पा ने डबल्‍स मैचों में अच्‍छे नतीजे मिलने का बताया यह कारण…

नई दिल्ली: बैडमिंटन में डबल्‍स मैचों की विशेषज्ञ अश्विनी पोनप्पा ने पिछले कुछ समय में अपने अच्छे प्रदर्शन का श्रेय कोच टेन किम हर को दिया है. उन्‍होंने कहा कि इस मलेशियाई कोच की डबल्‍स मैचों की समझ ने अंतर पैदा किया है और खिलाड़ियों को उन पर भरोसा रखने का फायदा मिल रहा है. गौरतलब है कि भारतीय बैडमिंटन युगल खिलाड़ियों के लिए पिछले दो हफ्ते काफी अच्छे रहे हैं. अश्विनी ने यहां इंडिया ओपन 2018 में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और एन सिक्की रेड्डी के साथ मिलकर क्रमशः मिश्रित और महिला युगल के क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है. अश्विनी सात्विकसाईराज के साथ पहली बार सुपर सीरीज स्तर के टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में पहुंची है. इन दोनों का की यह सफलता इसलिए भी बड़ी हैं क्योंकि इनकी विश्व रैंकिंग 73 है और उन्होंने दूसरे दौर में दुनिया की 11वें नंबर की जोड़ी को हराया. भारत की कुल पांच जोड़ियों ने इंडिया ओपन की विभिन्न स्पर्धाओं के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई है.

सात्विकसाईराज ने भी पिछले हफ्ते चिराग शेट्टी के साथ मिलकर इंडोनेशिया मास्टर्स के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी. खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन में कोच की भूमिका पर जोर देते हुए अश्विनी ने कहा, ‘उनके (कोच टेन किम हर के) आने से काफी अंतर पैदा हुआ है. उन्होंने आते ही कई जोड़ियां बनाईं. जब वह आए तो सात्विक और मैं साथ नहीं खेलते थे. सात्विक और चिराग साथ नहीं थे. जैरी और सिक्की भी साथ नहीं थे. जब से वह आए उन्होंने कई नयी साझेदारियां बनाई और तोड़ी भी.’ अश्विनी ने कहा, ‘अपनी बात करूं तो मिश्रित में मैंने पिछले साल नंदगोपाल के साथ शुरुआत की, फिर सुमित के साथ खेली और फिर सात्विक के साथ जुड़ी. मैं तीन अलग-अलग जोड़ीदारों के साथ खेली. हमारे लिए जरूरी है कि हम कोच पर भरोसा करें. हमारे में से अधिकांश खिलाड़ी ऐसा करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ क्या है. इससे चीजें हमारे लिए आसान हो जाती हैं और नतीजे भी दिख रहे हैं.’

ज्वाला गुट्टा के साथ मिलकर राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण और विश्व चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीतने वाली अश्विनी ने अच्छे युगल कोच की अहमियत पर कहा, ‘पिछले कुछ समय में खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है इसलिए जरूरी है कि ऐसा कोच हो जो युगल को समझे. युगल में यह जरूरी नहीं कि जिसके साथ आप साल की शुरुआत करो उसी के साथ अंत करो. यह पूरी तरह से कोच पर निर्भर करता है. दूसरा खिलाड़ी आपको कैसे समझ रहा है. अतीत में मेरी साझेदारियां मेरे या मेरे जोड़ीदार का फैसला थीं.’उन्होंने कहा, ‘नये कोच के आने के बाद साझेदारियां उनके मुताबिक बनती हैं जिससे बड़ा अंतर पैदा हुआ. वह युगल के विशेषज्ञ हैं और समझ सकते हैं कि कौन सा संयोजन अच्छा है और अच्छे नतीजे देगा. कभी-कभी यह काम करता है और कभी नहीं लेकिन हमारे लिए यह जरूरी है कि हम उन पर भरोसा करें. हमारा उन पर काफी भरोसा है. कोच हमें चीजों पर अपनी मर्जी से काम करने की छूट भी देते हैं जिससे चीजें आसान हो जाती हैं.’

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