वल्लभ भाई पटेल के बाद शाह हैं सबसे दमदार गृहमंत्री, नहीं झेलना पड़ा कोई भी विरोध
जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का विरोध किसी से भी छिपा नहीं है। अगर केंद्र का कोई भी प्रतिनिधि जम्मू कश्मीर पहुंच जाए तो वहां पर स्वाभाविक ही अलगाववादी नेता बंद का आह्वान कर देते हैं। लेकिन 30 साल में पहली बार ऐसा देखा गया कि कोई केंद्रीय गृहमंत्री जम्मू कश्मीर गया हो और विरोधियों ने बंद न बुलाया हो। पिछले दिनों अमित शाह गृहमंत्री बनने के बाद पहली औपचारिक कश्मीर यात्रा पर थे और घाटी अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में व्यस्त थी।अंग्रेजी समाचार पत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पिछले तीन दशकों में अलगाववादियों ने हर बार बंद बुलाया है जब कोई केंद्र का प्रतिनिधि घाटी पहुंचा हो। लेकिन शाह के दौरे के वक्त सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक समेत किसी भी अलगाववादी नेता ने बंद नहीं बुलाया और न ही कोई बयान जारी किया। जबकि फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर का दौरा किया था उस वक्त सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज समेत यासीन मलिक ने बंद का आह्वान किया था और इन्हीं लोगों ने उस वक्त भी बंद बुलाया था जब साल 2017 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर पहुंचे थे। लोकसभा में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के पक्ष में अपना भाषण देते हुए पूनम महाजन ने अमित शाह के जम्मू कश्मीर दौरे का भी उल्लेख किया। महाजन ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद शाह देश के ऐसे दूसरे गृह मंत्री हैं, जिनके वहां जाने पर कोई विरोध और बंद नहीं हुआ तथा उनका स्वागत किया गया। इसके साथ ही पूनम ने कहा कि दुनिया में कहीं जन्नत है, तो वह कश्मीर है। मोदी सरकार में कश्मीर जन्नत बना हुआ है और जन्नत बना रहेगा।
शाह ने की सुरक्षा समीक्षा बैठक
26 जून को अपने दो दिवसीय जम्मू कश्मीर दौरे पर पहुंचे शाह ने राज्य सरकार और केंद्र के शीर्ष अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की और निर्देश दिए कि आप लोग आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाएं और राज्य में आतंकी फंडिंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। इस बैठक में राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी मौजूद थे।
शाह ने की जम्मू कश्मीर पुलिस की सराहना
राज्य के मुख्य सचिव बीवी आर सुब्रह्मण्यम ने बताया कि शाह ने उग्रवाद और आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिये जम्मू कश्मीर पुलिस के प्रयासों की सराहना की। इस बीच उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को अपने पुलिसकर्मियों की शहादत पर उनके गांवों में उचित तरीके से याद करते हुए सम्मान देना चाहिए। सुब्रह्मण्यम ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि सुरक्षाबलों के साथ की गई बैठक इस साल किए गए सुधारों के साथ अन्य जरूरतों पर केंद्रिंत थी। इसी के साथ ही शाह ने अमरनाथ यात्रा से जुड़ी सुरक्षा योजना की भी समीक्षा की।
कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए नेहरू जिम्मेदार
लोकसभा में जम्मू कश्मीर में 6 माह और राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने की बात रखते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की समस्या के लिये प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जम्मू कश्मीर की जनता की भलाई, लोकतंत्र कायम रखने और आतंकवाद को जड़ से उखड़ाने को प्रतिबद्ध है। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के सांविधिक प्रस्ताव पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी ‘प्राथमिकता’ है और उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने बहुत दुख सहा है।
शाह ने अपने वक्तव्य में सरदार पटेल की नीतियों की सराहना की साथ ही नेहरू की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि तब 630 रियासतों के साथ संधि हुई थी लेकिन अनुच्छेद 370 कहीं नहीं है। एक रियासत जम्मू कश्मीर पंडित नेहरू देख रहे थे और स्थिति सबके सामने है। शाह ने कहा कि हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं। इसी के साथ शाह ने कहा कि हमने 919 लोग, जिन्हें भारत विरोधी बयान देने के कारण सुरक्षा मिली थी, हमने उनकी सुरक्षा को हटाने का काम किया है।