‘आप’ को अपनों पर भी नहीं रहा भरोसा, उप चुनाव में बदले जा सकते हैं आधे प्रत्याशी

नई दिल्ली । दिल्ली में अगले छह माह में संभावित विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रत्याशियों की खोज शुरू कर दी है। पार्टी बीस में से करीब आधी सीटों पर अपने प्रत्याशी बदल सकती है, क्योंकि उसे इन सीटों पर वर्ष 2015 में जीत हासिल करने वाले विधायकों पर भरोसा नहीं है।

नेताओं और कार्यकर्ताओं में सुगबुगाहट शुरू

प्रत्याशी बदले जाने को लेकर ‘आप’ नेताओं और कार्यकर्ताओं में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सरकार के साथ-साथ पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे ‘आप’ के एक नेता को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के एक नेता ने एक विधानसभा क्षेत्र में पैसे वाले एक कार्यकर्ता को फोन भी किया है। उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।

चुनाव के लिए तैयार 

बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले पार्टी की प्रदेश स्तर पर हुई बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जिसमें पूर्व विधायकों की जमीनी स्थिति का आंकलन किया गया है। इसमें यह बात सामने आई कि कई पूर्व विधायकों की हालत खराब है, लेकिन वे चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटने वाले हैं। एक पूर्व विधायक कहते हैं कि अभी वह कोर्ट से राहत के इंतजार में हैं। उन्हें उम्मीद है कि अदालत से जरूर राहत मिलेगी। वह कहते हैं कि यदि चुनाव में जाना पड़ा तो उसके लिए तैयार हैं।

भ्रष्टाचार में फंसे ‘आप’ विधायक

भ्रष्टाचार को लेकर शुरू किए गए आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के लिए अब 2015 वाले हालात नहीं हैं। ‘आप’ भी अब इस बात को बखूबी समझ रही है। कारण यह है कि जिस भ्रष्टाचार के विरोध में पार्टी अस्तित्व में आई थी अब ‘आप’ के मंत्रियों पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में एक मंत्री हटाए भी गए हैं। पार्टी के 16 से अधिक विधायकों पर मुकदमे दर्ज हैं। इनमें भी भ्रष्टाचार के मामले हैं।

दिल्ली में विकास नहीं हुआ 

दिल्ली में भी पिछले तीन साल में विकास नहीं हुआ है। ऐसे में पार्टी की लगातार गिर रही साख को बचा पाना ‘आप’ के लिए आसान नहीं है। उपचुनाव में भी ‘आप’ को झटका लगने की संभावना है। इससे पार्टी के नेता चिंतित हैं। ‘आप’ के असंतुष्ट विधायक कपिल मिश्रा कहते हैं कि मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि जो विधायक रहे हैं, उनमें से 12 सीटों पर वे नहीं जीतेंगे। ऐसे में ‘आप’ को प्रत्याशी बदलना ही है।

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