पुलवामा हमले के सूत्रधार जैश के दो कमांडरों समेत 3 आतंकी ढेर, 6 जवान भी शहीद
जम्मू। सेना ने 14 फरवरी को पुलवामा में केरिपुब बस पर हुए आत्मघाती हमले के जिम्मेदार जैश-ए-मुहम्मद के दो कमांडरों समेत तीन आतंकियों को 18 घंटों तक चली भीषण मुठभेड़ में मार गिराया। मारे गए दोनों कमांडरों की पहचान गाजी रशीद और कामरान के तौर पर की गई है। फिलहाल आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है। तीसरा आतंकी स्थानीय बताया जाता है। इस कामयाबी के लिए 6 जवानों की शहादत देनी पड़ी है जिनमें एक मेजर रैंक का अधिकारी भी है। इस आप्रेशन में दो नागरिकों की भी मौत हो गई। कुल 11 लोगों की मौत हुई है। मुठभेड़ में साउथ कश्मीर के डीआईजी, 12 आरआर के सेक्टर कमांडर ब्रिगेडियर, एक ले कर्नल, एक मेजर और एक कैप्टन समेत 14 जवान जख्मी हुए हैं। कर्नल तथा ब्रिगेडियर की दशा नाजुक बताई जाती है।
अधिकारियों ने बताया कि पुलवामा के पिंगलिन इलाके में जिस मकान में जैश के इन दो कमांडरों से देर रात से ही मुठभेड़ चल रही थी उसे आज 18 घंटों के बाद मोर्टार से उड़ा दिया गया। पुलवामा हमले के दोषी जैश कमांडरों की मौत पर अधिकारियों का कहना था कि जब तक मलबे से शव निकाल पहचान नहीं कर ली जाती कुछ कहना कठिन होगा पर उन्होंने इसे माना कि इन दोनों कमांडरों के इस घर में छुपे होने की खबरों के बाद ही आप्रेशन आरंभ किया गया था। मुठभेड़ में 6 सैनिकों की शहादत हो गई थी। सैनिकों की ताजा मौतें आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में हुई थीं। शहीद होने वाले सैनिकों में एक मेजर रैंक का अधिकारी भी शामिल है जबकि 2 नागरिक भी मारे गए। पुलवामा के पिंगलिन में रविवार को आधी रात के बाद लगभग डेढ़ बजे शुरू हुई मुठभेड़ 18 घटों तक जारी रही। शहीदों की पहचान मेजर डीएस डोंडियाल, हेड कांस्टेबल सेवाराम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरि सिंह के रूप में हुई है। जबकि गंभीर रूप से घायल जवान गुलजार मोहम्मद को 92 बेस हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाया गया जिसने वहां दम तोड़ दिया। इसके अलावा दो स्थानीय नागरिक भी मारे गए।इस भीषण मुठभेड़ में दक्षिण कश्मीर के डीआईजी अमित कुमार, राष्ट्रीय रायफल्स के 12 सेक्टर के कमांडर ब्रिगेडियर हरबीर सिंह, एक ले कर्नल, एक मेजर तथा एक कैप्टन रैंक के अधिकारी समेत 14 सैनिक भी जख्मी हुए हैं। इनमें से ब्रिगेडियर तथा ले कर्नल की दशा गंभीर बताई जा रही है। शहीद मेजर का संबंध 55 राष्ट्रीय रायफल्स से है। घटना स्थल पर मोर्चा संभालने के लिए पैरा कमांडो के दस्ते को बुलाया गया था। आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर 55 राष्ट्रीय राइफल्स, सीआरपीएफ तथा एसओजी की ओर से इलाके की घेराबंदी कर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। घेराबंदी सख्त होता देख छिपे आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर फायरिंग शुरू कर दी।
कौन था अब्दुल रशीद गाजी
अब्दुल रशीद गाजी उर्फ कामरान को प्म्क् स्पेशलिस्ट बताया जाता है। गाजी जैश के सरगना मसूद अजहर का करीबी था। घाटी में आतंकियों की भर्ती करने और उन्हें ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी गाजी को ही दी गई थी। उसने ही पुलवामा आतंकी हमले के लिए आदिल अहमद डार को तैयार किया था और पूरी ट्रेनिंग दी थी। कामरान ने खुद प्म्क् बनाने का प्रशिक्षण तालिबान से लिया था। जैश गाजी पर पूरा भरोसा करता था। पाकिस्तान में बैठे जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर के इशारे पर गाजी कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता था। तभी मसूद ने गाजी को पुलवामा हमले की सारी जिम्मेदारी सौंपी थी। मसूद अजहर ने भतीजों तल्हा रशीद और उस्मान के घाटी में मारे जाने के बाद गाजी को सुरक्षाबलों से इसका बदला लेने के लिए भेजा था। तब मसूद ने बयान जारी कर कहा भी था कि वह अपने भतीयों की हत्या का बदला भारत से जरूर लेगा। इसी बाद दिसबंर में मसूद ने गाजी को कश्मीर भेजा था तब आदिल ने ही उसके छिपने का बंदोबस्त किया था। आतंकियों ने 9 फरवरी को संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की बरसी पर बड़ा धमाका करने की साजिश रची थी लेकिन कुछ गड़बड़ के कारण तब इस प्लानिंग को अंजाम नहीं दिया गया। उसके बाद उसने 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर डार के जरिए आत्मघाती हमले को अंजाम दिया। इस आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए।