कोरोना से 20 लाख टन चीनी नहीं बिकी,मन्दी की मार

नई दिल्ली ।  देश के विभिन्न हिस्सों में होटल, कैंटीन, ढाबा, रेस्तरां खुलने से चीनी की मांग में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने लगी है, जिससे नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों की आर्थिक सेहत सुधरने की उम्मीद जगी, लेकिन कोरोना ने चालू सीजन में  20 लाख टन चीनी की खपत में चपत लगा दी है, जिसकी कसक उद्योग को बनी हुई है। कोरोनावायरस के प्रसार पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने जब 25 मार्च से देश में पूर्ण बंदी की घोषणा की थी, उस समय भी देश की तमाम चीनी मिलें चल रही थीं और उत्पादन, आपूर्ति व विपणन कार्य पर कोई रोक नहीं थी, लेकिन होटल, रेस्तरां, कैंटीन, मॉल, सिनेमा हॉल आदि के बंद होने से आइस्क्रीम और सॉफ्ट ड्रिंक की बिक्री में भारी गिरावट आई, जिसका असर चीनी उद्योग पर पड़ा। उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने आईएएनएस को बताया कि गमीर् का मौसम शुरू होने से पहले आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक व अन्य शीतल पेय पदाथोर्ं के लिए चीनी की मांग हर साल बढ़ जाती है, लेकिन इस साल चीनी की गमीर् की वह मांग ठंडी पड़ गई और लॉकडाउन के दौरान घरेलू मिलें करीब 20 लाख टन चीनी नहीं बेच पाईं। मतलब कोरोना ने चीनी की 20 लाख टन की खपत में चपत लगा दी।  हालांकि उन्होंने कहा कि जून में धीरे-धीरे चीनी की मांग जोर पकड़ रही है, जिससे कीमतों में भी सुधार हुआ है, जिससे नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों की वित्तीय सेहत में आने वाले दिनों में थोड़ा सुधार होगा और किसानों के बकाये का भुगतान करने के साथ-साथ मिलों के कर्मचारियों का रूका वेतन देने में सहूलियत मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *