सातवीं की छात्रा के सुसाइड नोट ने झकझोर दिया दिल

हल्द्वानी, [संदीप मेवाड़ी]: हमारी दुनिया बहुत अलग है। जब लड़की कुछ गलत करती है तो सब लोग उस पर उंगली उठाते हैं। शायद मैंने भी कोई गलत करा होगा, जो मुझे लड़की के रूप में जन्म मिला। तुम लड़की हो, लड़कों से अच्छा नहीं कर सकती, समाज यही कहता है। बहुत खुशनसीब होंगी वो लड़कियां, जो खुद समाज में अपनी नई पहचान बनाती हैं। कुछ को तो घर से बाहर कदम रखते ही बहुत बड़ी सजा मिलती है। कभी किसी लड़के से मत बोलो, वो तुम्हें बिगाड़ देगा, तुम हमारी नाक कटा दोगी, लड़कियों को हमेशा ऐसा ही समझा जाता है और वो चुपचाप सब सहन कर लेती है। मैं आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहती हूं, मैं बहुत परेशान हूं। पता नहीं मैं गलत हूं या मेरे जीने का तरीका…।

सातवीं की छात्रा ज्योति का ये अंतिम खत जिसने भी पढ़ा कलेजा मुंह को आ गया। यह सिर्फ सुसाइड नोट ही नहीं समाज की रुढ़ियों और लड़कियों पर बंदिशों पर करारा तमाचा है। लड़की होने के अभिशाप में ज्योति शुक्रवार को सदा के लिए बुझ गई।

सातवीं की छात्रा ज्योति ने शुक्रवार को जहर पीकर आत्महत्या कर ली। उसने यह सुसाइड नोट परिवारजनों के नाम लिखा है। वह उच्च न्यायालय में तैनात एलआइयू के दरोगा सतनाम कंबोज की बेटी थी। उनका परिवार काठगोदाम क्षेत्र के पॉलीशीट में किराये पर रहता है।

शुक्रवार सुबह सात बजे उनकी बेटी ज्योति तुलसी लेने के लिए घर से निकली। काफी देर तक वह नहीं लौटी तो परिवार में हड़कंप मच गया। परिवार के साथ ही आस पड़ोस के लोगों ने बच्ची की तलाश शुरू कर दी। पुलिस तक बात पहुंची तो सभी थाना-चौकियों को अलर्ट कर दिया गया।

करीब 12 बजे घर से करीब 300 मीटर दूर स्थित एक खाली प्लाट की झाडिय़ों में ज्योति पड़ी मिल गई। समीप में नुवान की खाली शीशी थी और मुंह से झाग निकाला था। परिजन उसे लेकर नैनीताल रोड स्थित एक निजी हॉस्पिटल पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने उसके मृत घोषित कर दिया।

पंचनामा भरने के लिए पुलिस ने बच्ची की तलाशी ली तो एक हस्तलिखित सोसाइड नोट बरामद हुआ। इसे जिसने भी पढ़ा स्तब्ध रह गया। सातवीं की बच्ची ने इस अंतिम खत में लड़कियों के भीतर छुपा दर्द, लड़का-लड़की के बीच के भेदभाव व पाबंदियों को समाज के सामने की रखने की मार्मिक कोशिश की थी।

 

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