शंकराचार्य के मसले पर अखाड़ा परिषद ले सकती है बड़ा फैसला

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद शंकराचार्यों की बढ़ती फौज और विवादों को देखते हुए स्वयंभू शंकराचार्यों के सामूहिक बहिष्कार के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।

हरिद्वार, [जेएनएन]: शंकराचार्यों के मसले पर हरिद्वार में होने वाली अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में बड़ा फैसला किया जा सकता है। दंडी संन्यासियों की मौजूदगी में होने वाली इस बैठक में शंकराचार्यों की बढ़ती फौज और विवादों को देखते हुए स्वयंभू शंकराचार्यों के सामूहिक बहिष्कार के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।

हरिद्वार में हालिया दिनों में भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ का द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य के तौर पर पट्टाभिषेक कराए जाने के बाद शंकराचार्यों को लेकर उपजे विवाद के बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने दस मार्च को आपात बैठक बुलाई है। सभी की सहमति न मिलने पर यह बैठक होली के बाद भी हो सकती है।
गौरतलब है कि महाशिवरात्रि पर सुमेरु पीठ के जगद्गुरु नरेंद्रानंद सरस्वती ने हरिद्वार में भूमा निकेतन के पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद का पट्टाभिषेक द्वारिका पीठाधीश्वर के रूप में कर दिया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि इसका विरोध करते हुए स्वामी नरेंद्रानंद व स्वामी अच्युतानंद के बहिष्कार का एलान कर चुके हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के अनुसार 10 मार्च को होने वाली बैठक में स्वयंभू शंकराचार्यों के मुद्दे पर विस्तार से विचार विमर्श किया जाएगा। स्वयंभू शंकराचार्यो की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के मकसद से यह बैठक बुलाई गई है।
इसमें अखिल भारतीय दंडी संन्यासी समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम व महामंत्री स्वामी ब्रह्माश्रम विशेष रूप से आमंत्रित किए गए हैं। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती व शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती भी को भी बुलाया गया हैं। बैठक में अखाड़ा परिषद, शंकराचार्य व दंडी संन्यासी मिलकर स्वयंभू शंकराचार्यो के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर उनका सामूहिक बहिष्कार कर एलान पर फैसला किया जाएगा।
ज्योतिष एवं द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के अनुसार, महंत नरेंद्र गिरि ने हरिद्वार में होने वाली अखाड़ा परिषद की बैठक में हमें आमंत्रित किया है। धर्महित में हो रही इस बैठक में हम शामिल होकर स्वयंभू शंकराचार्यो के खिलाफ कार्रवाई में पूरा सहयोग देंगे, क्योंकि यह हमारी अस्मिता का मामला है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि दंडी संन्यासियों के समर्थन से ही शंकराचार्य की नियुक्ति होती है। इधर स्वयंभू शंकराचार्यो की बाढ़ आ गई है। इस पर रोक लगाने के लिए अखाड़ा परिषद की बैठक शंकराचार्य व दंडी संन्यासी भी आमंत्रित किए गए हैं। 10 मार्च को बैठक हरिद्वार में होनी है।