भारत हथियार खरीद में दुनिया में नंबर दो, खरीदे 34 बिलियन डॉलर के हथियार

वाशिंगटन। भारत अपनी सेनाओं का आधुनिकरण करने की योजना पर काम कर रहा है और इस बीच ही एक रिपोर्ट आई है जिसमें भारत को हथियार खरीदने के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश बताया गया है। भारत का नंबर हथियार खरीद में सऊदी अरब के बाद दूसरा है। अमेरिकी कांग्रेस की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की ओर से रिलीज की गई ‘कंवेंशनल आर्म्‍स ट्रांसफर्स टू डेवलपिंग नेशंस-2008-2015’रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

सेना के आधुनिकीकरण में लगा भारतइस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2008 से 2015 तक भारत ने 34 बिलियन डॉलर की रकम से हथियार खरीदे। भारत से पहले रिपोर्ट में सऊदी अरब का नाम है और उसने 93.5 बिलियन डॉलर की रकम हथियारों की खरीद पर खर्च की। सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की एक स्‍वतंत्र शाखा है। यह अमेरिकी सांसदों के लिए कई अहम मुद्दो पर रिपोर्ट तैयार करने का काम करती है ताकि वह बेहतर फैसले ले सकें। हालांकि सीआरएस की ओर से तैयार रिपोर्ट्स को अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘विकासशील देशों में सऊदी अरब वह पहला देश है जिसने वर्ष 2008 से 2015 तक सबसे ज्‍यादा हथियार खरीदें। सऊदी अरब ने 93.5 बिलियन डॉलर के समझौतों की मदद से इन हथियारों को खरीदा। भारत इन्‍हीं वर्षों में हथियारों की खरीद में दूसरे नंबर पर रहा। भारत ने वर्ष 2008-2015 तक 34 बिलियन डॉलर के समझौतों को साइन किया।’ पढ़ें-भारत के अग्नि-V लॉन्‍च से परेशान चीन

किससे खरीदे कितने हथियाररिपोर्ट के मुताबिक इससे साफ होता है कि भारत किस कदर सेनाओं का आधुनिकीकरण करने की कोशिशों में जुटा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लिहाज से यह बात ध्‍यान देने वाली है कि रूस उसके लिए अहम ग्राहक रहा है। हालिया वर्षों में भारत ने हथियार खरीद के लिए फ्रांस और इजरायल का रुख भी किया। वर्ष 2004 में भारत ने इजरायल से फाल्‍कन अर्ली वॉर्निंग डिफेंस सिस्‍टम एयरक्राफ्ट खरीदे तो वर्ष 2005 में फ्रांस से भी कई तरह के डिफेंस प्रॉडक्‍ट्स खरीदे जिनमें सबसे खास थी छह स्‍कॉर्पियन डीजल अटैक पनडुब्बियां। वर्ष 2008 में अमेरिका से भारत ने छह सी-139जे हरक्यूलिस कार्गो एयरक्राफ्ट खरीदे। वर्ष 2010 में यूनाइटेड किंगडम से 57 हॉक जेट ट्रेनर्स खरीदे जिनकी कीमत करीब एक बिलियन डॉलर थी। वर्ष 2010 में इटली ने भारत को 12 एडब्‍लूय101 हेलीकॉप्‍टर्स बेचे।

रूस और भारत के संबंधों का भी जिक्रवर्ष 2011 में फ्रांस ने भरत के साथ 2.4 बिलियन का कांट्रैक्‍ट किया जिसके तहत भारत इंडियन एयरफोर्स में प्रयोग हो रहे 51 मिराज-2000 फाइटर जेट्स को अपग्रेड करना चाहता था। इसी वर्ष अमेरिका ने भारत को 4.1 बिलियन डॉलर की कीमत पर 10 सी-17 ग्‍लोबमास्‍टर एयरक्राफ्ट बेचने पर हामी भरी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरह से भारत ने हथियार खरीदे उससे साफ होता है कि भारतीय बाजार में अपने हथियारों को बेचने के लिए रूस को दूसरे देशों से कड़ी प्रतिद्वंदिता झेलनी पड़ेगी। वर्ष 2011 में भारत ने रूस को नई पीढ़ी के फाइटर जेट की खरीद के लिए रूस की जगह फ्रांस का तरजीह दी। वर्ष 2015 में भारत और रूस के बीच एक कांट्रैक्‍ट साइन हुआ जिसके तहत भारत रूस से 200 Ka-226T हेलीकॉप्‍टर्स खरीदेगा।

रूस पर निर्भरता खत्‍म करने की कोशिशरिपोर्ट की मानें तो भारत अब रूस पर हथियारों की खरीद के लिए ज्‍यादा निर्भर नहीं रहना चाहता है और वह दूसरे विकल्‍पो की ओर भी देख रहा है। भारत ने कई बड़े सौदे दूसरे देशों के साथ कर रूस को तगड़ा झटका दिया है। इसकी वजह से दोनों देशों के रिश्‍तों पर भी असर पड़ा है। वहीं रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका वर्ष 2015 में हथियारों की बिक्री में पहले नंबर पर रहा है। अमेरिका ने करीब 40 अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं। यह दुनिया के हथियार बाजार के सभी समझौतों का आधा हिस्सा है और उसके निकटतम प्रतिद्वंदी फ्रांस से दोगुने से अधिक है। पढ़ें-हाफिज सईद ने नवाज शरीफ को दी भारत से दोस्‍ती न करने की सलाह

Source: hindi.oneindia.com

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