भाजपा से की दस हजार करोड़ की मांग
अल्मोड़ा। गैरसैण को राजधानी घोषित करने के मामले को कांग्रेस ने भाजपा के पाले में उछाल दिया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि यदि केंद्र की भाजपा सरकार दस हजार करोड़ रुपये दे तो गैरसैंण को राजधानी घोषित कर दिया जाएगा। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह भी दावा किया कि यदि किशोर उपाध्याय न होता तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन होता ही नहीं। भाजपा पर हमलावर उपाध्याय ने कहा कि पहले भाजपा ने राम के नाम पर चुनाव जीता और पिफर उन्हें धक्का दे दिया। उन्होंने कहा कि अब उत्तराखंड की बेटी मां गंगा के नाम पर दोबारा वही काम हो रहा है। भाजपा ने गंगा सफाई के नाम पर तीन हजार करोड़ करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन नतीजा सिपफर ही रहा। उन्होंने कहा कि देहरादून के परेड ग्राउंड से मोदी ने तमाम वायदे किए और अच्छे दिन के सब्जबाग दिखाए। अब यही केंद्र सरकार के गले की हड्डी बन चुका है। इसके लिए उन्होंने भाजपा नेता गडकरी का धन्यवाद भी किया और कहा कि अब तो भाजपा के ही शीर्ष नेता अच्छे दिन के वायदे को गले की हड्डी मान बैठे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि भाजपा में गडकरी का हाल भी आडवाणी की तरह हो गया है। मोदी ने अपने कार्यकाल में केवल विदेश भ्रमण किया। अब सरकार के पास सवा साल बचे हैं। देखेंगे इस बचे समय में मोदी क्या करते है। फिलहाल कांग्रेस भाजपा से हिसाब मांगेगी और इसके लिए सभी 70 विधानसभाओं में मोदी जवाब दो, भाजपा जवाब दो कार्यक्रम का आगाज कर दिया गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जहां तक खातों में 15 लाख देने की बात की गई, तो मोदी अपने नेताओं खासकर निशंक के खाते में पहले पैसे डाल दें। उन्होंने कहा कि जिस दिन यह हो गया तो वह खुद हरीश रावत के साथ कोर्ट को एफीडेविट देकर 15 लाख रुपये छोड़ देंगे। इतना नहीं इस पर कांग्रेस मोदी का सार्वजनिक अभिनंदन भी करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र नहीं चाहती की उत्तराखंड राज्य का विकास हो। इसीलिए केंद्र ने राज्य के संसाधनों में कटौती शुरू कर दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें जहां से पार्टी कहेगी वहीं से वह चुनाव लड़ेंगे। पीडीएफ को लेकर चल रही उठापटक पर उन्होने कहा कि दोस्त का काम दोस्ती न निभाना होता है न कि दोस्त का हाथ जलाना। वह आज भी छह है और हम 26। इस नाते हम बड़े भाई हुए और वह बड़े भाई का फर्ज निभाएंगे। उन्होंने कहा कि आज भाजपा में जो भी लोग शामिल हो रहे है उनमें से साठ प्रतिशत लोग भाजपा की विचारधारा पर भरोसा ही नहीं रखते। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनके और हरीश रावत के बीच कोई मतभेद नहीं हैं और न ही टिहरी के विधायक से कोई मतभेद हैं।