पीड़ित क्षेत्रों में समस्याएं आज भी जस की तस

रुद्रप्रयाग,। सरकार और शासन-प्रशासन की बेरूखी से क्षुब्ध केदारघाटी के आपदा पीड़ितों ने अपनी हक की लड़ाई स्वयं लड़ने का फैसला लिया है। आपदा पीड़ित तीन साल से मदद की गुहार लगा रहे हैं, मगर उनकी एक नहीं सुनी जा रही है। रोजगार, पलायन, विस्थापन, मुआवजा, झूलापुल जैसे मुद्दे आज भी छाये हुए हैं। पीड़ितों को राहत देने के वजाय सरकार ने सिर्फ झूठे आश्वासन ही दिये हैं। यहां जारी बयान में केदारघाटी सृजनशील जनमंच के अध्यक्ष कुलदीप सिंह रावत ने कहा कि केदारघाटी की समस्याओं को दूर करने के लिए जनमंच की शुरूआत की गयी है। इसके माध्यम से पीड़ित जनता को साथ लेकर आंदोलन किया जाएगा। कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद आपदा से घिरा हुआ है। हर बरसात में ग्रामीण क्षेत्र की जनता को भारी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। पीड़ित वर्षों से विस्थापन की मांग कर रहे हंै, लेकिन आज तक साढ़े चार सौ से अधिक परिवारों का विस्थापन नहीं हो पाया है। केदारनाथ आपदा में समाये लोगों के परिजनों को रोजगार देने का वायदा भी झूठा साबित हुआ है। कहा कि सरकार की ओर से उत्तरकाशी को पिछड़ा क्षेत्र घोषित किया गया, जबकि वर्ष 2013 की सबसे बड़ी आपदा केदारघाटी की जनता को झेलनी पड़ी थी। आपदा को गुजरे हुये तीन वर्ष से अधिक का समय हो गया है, लेकिन केदारघाटी की स्थिति जस की तस है। आज तक एक भी आपदा पीड़ित गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है। केदारघाटी के पीड़ितों के दुखदर्द को दूर करने के लिए केदारघाटी सृजनशील जनमंच का गठन किया गया है। जिसका मकसद जनपद को आपदा पीड़ित क्षेत्र घोषित करने के साथ ही तीन वर्ष से आपदा का दंश झेल रहे पीड़ितों के आंसुओं को पौछना है। साथ ही गौरीकंुड से केदारनाथ मोटरमार्ग निर्माण और हवाई सेवाओं को सीमित किया जाना जरूरी है। केदारनाथ विधानसभा की एक-एक समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से मुलाकात की जायेगी और इसके बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो जनता को आंदोलन के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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