पायलटों को देना होगा भारी जुर्माना

नई दिल्ली । केंद्र सरकार जल्द ही नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में नियमों को तोड़ने वाले एवं उड्डयन सुरक्षा का उल्लंघन करने वाले पायलटों पर एक करोड़ रुपये तक का भारी जुर्माना थोपने की तैयारी कर रही है। इस दिशा में सरकार कानून में संशोधन करने के साथ-साथ नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) की शक्तियों को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
नई राष्ट्रीय नागर विमानन नीति लागू होने के बाद उड्डयन सुरक्षा के उल्लंघन से निपटने का सरकार का यह कदम बेहत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह भी उस वक्त जब देश में घरेलू विमान यातायात में 20 प्रतिशत से अधिक के निरंतर विकास हो रहा है।
बता दें कि देश में नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में डीजीसीए नागरिक उड़ान नियमों को लागू करने वाला एक प्रमुख नियामक संगठन है। वहीं बीसीएएस की प्रमुख जिम्घ्मेदारी देश और विदेशी हवाई अड्डों पर अंतर्राष्घ्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के संबंध में मानक और सुरक्षा उपाय तय करना है।
डीजीसीए और बीसीएएस के लिए दण्डात्मक शक्तियां प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार विमान अधिनियम, 1934 में संशोधन पर विचार कर रही है जिसे अगले महीने संसद के शीतकालीन सत्र में लाए जाने की उम्मीद है।
नागरिक उड्डयन सचिव आर एन चौबे ने बताया कि पायलटों, चालक दल के सदस्यों अथवा नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में काम रने वाले लोगों पर दंड का कोई प्रावधान नहीं है, यही कारण है कि समय की मांग को देखते हुए विमान अधिनियम, 1934 में संशोधन की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि डीजीसीए और बीसीएएस विभिन्न स्तरों पर ऐसे उल्लंघनों के खिलाफ सख्ती से कदम उठाए। संशोधन में हार्ड लैंडिग, नियंत्रित एयर स्पेस का उल्लंघन अथवा पायलट द्वारा किए जा रहे अन्य उल्लंघनों के खिलाफ भारी जुर्माने का प्रावधान किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मसौदा विमान (संशोधन) विधेयक, 2016 में नागर विमानन मंत्रालय ने कई बदलावों की पेशकश की है। इसमें नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की राशि मौजूदा 10 लाख रूपए से बढ़ाकर एक करोड़ करने का भी प्रावधान है। इसके अलावा केंद्र सरकार के अंतर्गत डीजीसीए या केंद्र सरकार का कोई अधिकारी अधिनियम में दिए गए दिशा-निर्दोशों से संबंधित सुरक्षा का निरीक्षण करेगा।

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