पढ़िए, कैसे देश की रक्षा करने वाले फौजी इनके लिए बन गए फरिश्ते

किडनी की बीमारी से जूझकर मौत से जंग लड़ रही पुष्पा की जिंदगी में फौजी भाई उम्मीद बनकर आए हैं। रुद्रप्रयाग की 32 वर्षीय पुष्पा की दोनों किडनियां खराब हो गई। सास अपनी एक किडनी देकर उसे जीवनदान देना चाहती है लेकिन ऑपरेशन के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसे बुरे वक्त में देश की सीमा पर तैनात फौजी भाई उसे नई जिंदगी देने के लिए आगे आएं हैं। फौजी अब तक पुष्पा के इलाज को 42 हजार से अधिक की धनराशि भेज चुके है। इनमें से कोई भी पुष्पा को नहीं जानता, न ही पुष्पा किसी को जानती है। लेकिन मानवता के मजबूत रिश्ते से बंधे फौजी हर जंग की तरह इसे भी जीतना चाहते हैं।

यह कहानी दसजूला कांडई, मोहननगर तल्ला, रुद्रप्रयाग निवासी विजय प्रसाद की पत्नी पुष्पा (32) की है। कुछ समय पूर्व पुष्पा की दोनों किडनियां खराब हो गई। दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में जांच कराई तो चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी।

विजय की मां विमला देवी बहू को अपनी एक किडनी देने के लिए तैयार भी हो गई। लेकिन ऑपरेशन और दवाओं के लिए करीब साढ़े तीन लाख रुपये का इंतजाम कैसे हो। प्राइवेट काम करने वाले विजय के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना आसान नहीं था।

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