नौ साल से विधवा जीवन बिता रही थी महिला, तभी आया पति

गोपेश्वर (चमोली) : मां की आंखों में तो उम्मीद जिंदा थी, लेकिन पत्नी ने वैधव्य धारण कर लिया था। नौ साल से विधवा जीवन बिता रही सुमन को यकीन नहीं हुआ कि वह सुहागन है। दस साल से लापता पति के लौट आने का समाचार उसे मायके में मिला तो वह तत्काल ससुराल रवाना हो गई।

घटना सोमवार की है। चमोली जिले के गौचर में संदिग्ध परिस्थितियों में घूम रहे विक्षिप्त से लगने वाले युवक को पुलिस चौकी ले आई। पुलिस को जानकारी मिली की एक सप्ताह पूर्व यह युवक कर्णप्रयाग में भी देखा गया था। पूछताछ की तो वह बार-बार नाम बदलकर बताने लगा। बोलचाल से वह स्थानीय लगा।

चौकी प्रभारी हेमंत सेमवाल ने बताया कि जब उससे गढ़वाली में बातचीत की गई तो उसने अपना नाम हरीश नैनवाल निवासी ग्राम कांडा मैखुरा जिला चमोली बताया। पुलिस ने गांव में संपर्क किया तो पता चला कि हरीश नाम का युवक दस साल पहले लापता हो गया था।

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि हरीश के पिता खेमानंद भी तीस साल पहले लापता हो गए थे। गांव में हरीश की 60 वर्षीय मां विमला देवी, 35 वर्षीय पत्नी सुमन देवी, 12 वर्षीय पुत्र राहुल व 10 वर्षीय रोहित हैं। विमला देवी ने पुलिस को बताया कि उनके दो पुत्र हैं। हरीश का छोटा भाई प्राइवेट नौकरी करता है।

हरीश ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है। वह घर पर रहकर ही खेतीबाड़ी के अलावा यात्रा सीजन में  बदरीनाथ जाकर मजदूरी भी करता था। वर्ष 2007 में वह सीजन में बदरीनाथ जाने की बात कहकर घर से निकला, लेकिन सीजन के बाद भी नहीं लौटा। परिजनों ने बदरीनाथ जाकर खोजखबर की तो पता चला कि हरीश वहां पहुंचा ही नहीं।

गुरुवार को पुलिस कर्मियों ने हरीश को नहलाया-धुलाया, बाल कटवाए और शेव बनवाने के बाद गांव ले गए। एक बारगी विमला देवी को यकीन ही नहीं आया कि उनका बेटा जिंदा है। चौकी प्रभारी ने बताया कि गांव में बातचीत के दौरान हरीश ने बताया कि इस बीच वह इलाहाबाद, हरिद्वार व ऋषिकेश में रहा। हालांकि वह यह नहीं बता रहा है कि वह अचानक घर छोड़कर क्यों चला गया।

इन दिनों हरीश की पत्नी अपनी मायके जोशीमठ ब्लाक के जैसाला गांव गई हुई थी। परिजनों ने फोन पर उसे हरीश के लौटने की सूचना दी। बिमला देवी कहती हैं कि ‘आज तो उनके लिए दीपावली है।’

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