नोटबंदी का असर खत्म होने के बाद और सुधरेगी भारत की इकोनॉमी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि नोटबंदी के कारण उपजे नकदी संकट के दूर होने के बाद भारत में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया।

आईएमएफ ने एक परिपत्र में कहा है कि भारत के राजकोषीय घाटे में निकट भविष्य में कमी का क्रम जारी रहने की संभावना है। इसमें कहा गया कि मध्यावधि राजकोषीय सुदृढीकरण योजनाओं के लिए जीएसटी का पूर्ण कार्यान्वयन सहित सब्सिडी में और कटौती तथा कर सुधार जरूरी है। ‘नोटबंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक परिदृश्य में एक चमकता स्थान बनी रहेगी’।

भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है और नोटबंदी के कारण कुछ समय की नरमी के बावजूद वह वैश्विक परिदृश्य में एक आकर्षक चमकता स्थान बनी रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. आईएमएफ ने भारत पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है और उसके बाद के वर्ष में यह 7.2 प्रतिशत रह सकती है।

आईएमएफ के भारत मिशन प्रमुख पॉल केशिन ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है और वैश्विक परिदृश्य में यह एक चमकता हुआ आकर्षक स्थान बनी रहेगी।’ केशिन ने कहा कि वर्ष 2014 के आखिरी महीनों में विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम घटकर आधे होने के बाद से भारत में आर्थिक गतिविधियां तेज होने लगीं, उसके चालू खाता और वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ और मुद्रास्फीति में भी गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही वित्तीय क्षेत्र में सरकारी घाटे पर अंकुश, कर्ज पर नियंत्रण के जरिये वित्तीय मोर्चे पर लगातार सुदृढ़ीकरण करने तथा मुद्रास्फीति कम करने के मौद्रिक नीति उपायों से देश के वृहदआर्थिक स्थायित्व को मजबूती देने में मदद मिली है।

Source: hindi.goodreturns.in

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