तीन साल में निर्भया फंड से खर्च नहीं हुआ एक रुपया, बजट में दिए जाते हैं 1000 करोड़

नई दिल्ली। हर साल बजट में सरकार निर्भया फंड के लिए 1000 करोड़ रुपये का बजट तय करती है लेकिन बीते तीन सालों में इसमें से एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया। महिला सुरक्षा के लिए साल 2013 में बनाया गया निर्भया फंड 2015-2016 में भी जस का तस रहा। इसमें से कुछ भी खर्च नहीं किया गया। यह फंड दिसंबर 2012 में दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2013 में बनाया गया था। यह फंड महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

किसी भी एनजीओ को नहीं चुना गया
बीते दो सालों में यूपीए सरकार की तरह फंड के लिए बजट देने के अलावा नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस फंड का इस्तेमाल उन एनजीओ को समर्थन देने के लिए भी किया जा सकता है जो महिओं की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं लेकिन बीते तीन सालों में किसी भी एनजीओ को चुना गया। गौर करने वाली बात ये है कि साल 2015-16 के बजट में सरकार ने दो प्रमुख प्रावधान किए थे- पहला: पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 653 करोड़ रुपये का बजट और दूसरा: गृह मंत्रालय के अंतर्गत 79.6 करोड़ का बजट निर्भया प्रोजेक्ट के लिए तय किया गया लेकिन इनमें से एक भी योजना धरातल पर नहीं दिखी। इस वजह से सारा पैसा वैसे ही पड़ा रहा। READ ALSO: गणतंत्र दिवस पर असम में दो जगह बम धमाके, उग्रवादियों का हाथ होने की आशंका

महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा समस्या
इनके अलावा और भी कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनके लिए तय किया गया बजट वैसे ही पड़ा रह गया। उसे कहीं भी खर्च नहीं किया गया। सरकार ने एंप्लायमेंट और रिहैबिलिटेशन के लिए 461 करोड़ रुपये का बजट तय किया था लेकिन यह भी खर्च नहीं किया गया। नक्सल प्रभावित इलाकों को सरकार ने सड़कों से जोड़ने के स्पेशल प्रोग्राम की घोषणा की गई थी। महिलाओं और बच्चों को यहां सबसे ज्यादा मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। इसके लिए 920 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था लेकिन साल के अंत में पूरा पैसा बच गया और परिवहन मंत्रालय की नाकामी सामने आ गई।

Source: hindi.oneindia.com

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