जवाहर बाग काण्ड: अखिलेश सरकार को हाईकोर्ट का झटका, सीबीआई जांच के आदेश

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को जवाहर बाग काण्ड मामले की सुनवाई करते हुये बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को बड़ा झटका देते हुये जवाहर बाग काण्ड की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह एक बहुत गंभीर मामला है। इसमें पुलिसकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थे। ऐसे में जांच का स्तर बहुत उंचा व पारदर्शी होना चाहिये था जिससे दोषियों को सजा मिल सके। इस प्रकरण में जांच तेजी व स्वतंत्र रूप से हो, इसके लिये सीबीआई जांच की मांग स्वीकार की जाती है।

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9 याचिका पर हो रही थी सुनवाई
जवाहर बाग काण्ड में सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर अब तक 9 याचिकायें दाखिल की गई थी जिसमें शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी की भी याचिका शामिल थी। गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल इन याचिकाओं का निस्तारण करते हुये जवाहर बाग काण्ड की जांच सीबीआई को सुपुर्द करने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश की बेंच कर रही थी सुनवाई

8 महीने पहले सूबे की सियासत को हिला देना वाला जवाहर बाग काण्ड कई वजहों से सुर्खियों में रहा था। इसमें सियासी कुनबे के कई बड़े नाम दबे हुये हैं जबकि संरक्षण देने वालों की लंबी फेहरिस्त है। मामले की याचिकायें जब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचीं तो इसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने शुरू की। लगातार दलीलों व साक्ष्यों के साथ मीडिया रिपोर्ट भी बहुत कुछ कह रही थी। आखिर में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया ।

एसपी सिटी व एसओ हुये थे शहीद

उत्तर प्रदेश के मथुरा में 2 जून, 2016 को जवाहर बाग पर रामवृक्ष का अवैध कब्जा हटाने के लिये पुलिस पहुंची थी। जवाहर बाग को खाली कराने के लिये जो टीम बनी थी, उसका नेतृत्व एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी कर रहे थे। उनके साथ एसओ फरह संतोष यादव व फोर्स भी मौजूद थी। पुलिस जैसे ही चारदीवारी तोड़कर अंदर घुसी, रामवृक्ष के गुर्गों ने पुलिस पर हमला कर दिया। इस घटना में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष यादव शहीद हो गये। दबंगों ने जवाहर बाग में आग लगा दी। जमकर तोड़फोड़, मारपीट व बवाल हुआ। पूरे मथुरा में अचानक से हालात अशांत हो गये। इसमें सरगना रामवृक्ष भी मारा गया।

जांच में बड़े नाम आ सकते हैं सामने
घटना के बाद रामवृक्ष के संरक्षण की कई कहानियां सामने आईं। राजनैतिक संरक्षण और कई बड़े नाम फंसने लगे तो पूरे देश में सरकार की किरकिरी होने लगी। जवाहरबाग की हिंसा को लेकर जब राजनीति उफान पर पहुंची तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 8 जून को मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। तबसे जांच चल रही है लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला जिससे व्यथित लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली और सीबीआई जांच की मांग की थी।

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Source: hindi.oneindia.com

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