खत्‍म हुआ इंतजार इंडियन आर्मी के जवानों के लिए तैयार हो रहे हैं हेलमेट्स

नई दिल्‍ली। पिछले करीब दो दशक से इंडियन आर्मी को अपने हर जवान के लिए बेहतरीन हेलमेट का इंतजार था। अब जाकर यह इंतजार खत्‍म हुआ है और हर जवान के लिए बेहतरीन क्‍वालिटी के हेलमेट खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कानपुर की एमकेयू इंडस्‍ट्रीज को इन हेलमेट्स के लिए ऑर्डर दिया गया है। किसी भी जवान या फिर ऑफिसर के लिए हेलमेट काफी जरूरी होता है।

1.58 लाख हेलमेट्स का प्रोडक्‍शन

एमकेयू इंडस्‍ट्रीज को इंडियन और जर्मनी के अलावा दुनिया की कुछ और सेनाओं के लिए क्‍वालिटी प्रोडक्‍ट्स जिसमें बुलेट प्रूफ जैकेट्स और हेलमेट सबसे अहम हैं, को डेवलप करने में दुनिया की टॉप कंपनियों में से एक माना जाता है। इस कंपनी की ओर से तीन वर्षों के अंदर इन हेलमेट्स को डिलीवर करना है। कंपनी को करीब 180 करोड़ रुपए की कीमत से 1.58 लाख हेलमेट्स तैयार करने का ऑर्डर मिला है। इन हेलमेट्स की मैन्‍युफैक्‍चरिंग शुरू हो गई है।

कई वर्षो का इंतजार

दो दशकों में यह पहला मौका है जब सेना के लिए हेलमेट का उत्‍पादन इतने बड़े स्‍तर पर हो रहा है। इन नए हेलमेट्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये कम दूरी से फायर किए गए नौ एमएम के हथियार का वार झेलने में सक्षम हो सकेंगे। ऐसा करके यह हेलमेट्स अंतराष्‍ट्रीय मानकों के बराबर पहुंच पाएंगे। इसके अलावा जवानों की सुविधा का भी खास ध्‍यान रखा गया है। हेलमेट्स को कई तरह की एडवांस्‍ड कम्‍यूनिकेशंस डिवाइसेज के लिए भी मुफीद बनाया गया है।

कमांडोज के पास इजरायल में बने खास हेलमेट्स

एक दशक से भी ज्‍यादा समय से पहले इंडियन आर्मी के पैरा कमांडोज को इजरायल में बनी ओआर-201 हेलमेट्स दिए गए थे जो कि जीआरपी यानी ग्‍लास रिइनफोर्स्‍ड प्‍लास्टिक से बने हुए थे। सेना के बाकी जवनों को भारत में बने और काफी वजन वाले देसी हेलमेट्स से काम चलाना पड़ रहा है। भारत में तैयार हेलमेट्स युद्ध के दौरान भी काफी असहज साबित होते थे। काउंटर इनसर्जेंस ऑपरेशंस के दौरान जवानों को बुलेटप्रूफ ‘पटका’ हेलमेट पहनना पड़ता है। यह हेलमेट सिर्फ माथे और सिर के पीछे के भाग को कवर करता है। इनका वजन भी करीब ढाई किलोग्राम होता है।

Source: hindi.oneindia.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *