उत्तराखंड में जंगल की आग प्राकृतिक आपदा में शामिल

देहरादून, [केदार दत्त]: 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के लिए राहतभरी खबर है। केंद्र सरकार ने वनों में लगने वाली आग को प्राकृतिक आपदा में शामिल कर लिया है। इससे हर साल आग से जूझने वाले उत्तराखंड को न सिर्फ संबल मिलेगा, बल्कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से मदद मिलेगी। हालांकि, राज्य के वन महकमे की ओर से मांग की गई है कि उसे संसाधनों के लिए अधिक से अधिक फंड भी मुहैया कराया जाए, ताकि आग पर काबू पाने के लिए और प्रभावी ढंग से कदम उठाए जा सकें।

उत्तराखंड में जंगल की आग एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है, जिसके सामने वन महकमा हर बार ही असहाय नजर आता है। गुजरे 10 सालों के आंकड़ों पर ही गौर करें तो हर साल औसतन 2200 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ रहा है।

पिछले वर्ष तो आग ने विकराल रूप धारण किया और यह घरों की देहरी तक पहुंच गई थी। इससे निबटने के लिए सेना व वायुसेना की मदद तक लेनी पड़ी थी। मानसून के आगमन के बाद ही विभाग को राहत मिल पाई थी। जंगल की आग को लेकर केंद्र से लेकर अदालत तक ने चिंता जाहिर की थी।

इस मर्तबा अभी तक भले ही मौसम साथ देता आया है, लेकिन आने वाले दिनों में पारा चढ़ने पर दिक्कतें बढ़ सकती हैं। ऐसे में जंगल की आग के प्राकृतिक आपदा में शामिल होने से वन महकमे को कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से जारी आपदा से संबंधित सूची में फायर शब्द पहले से शामिल था, लेकिन इसे लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं थी।

उत्तराखंड के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरके महाजन के अनुसार सात अप्रैल को एनडीएमए के आला अधिकारियों के साथ जंगल की आग को लेकर चर्चा की गई। इसमें एनडीएमए की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि अब जंगल की आग भी प्राकृतिक आपदा में शामिल होगी। उन्होंने बताया कि इससे वन महकमे को एनडीएमए के संसाधनों का लाभ आग बुझाने में मिलेगा। जरूरत पडऩे राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन बल (एनडीआरएफ) की मदद भी विभाग को मिलेगी। उन्होंने जानकारी दी कि विभाग की ओर से एनडीएमए से फंड मुहैया कराने का आग्रह भी किया गया है। इस पर उसे मदद का आश्वासन मिला है।

 

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