उत्तराखंडः जांच में छात्रवृत्ति बांटने में किए गए घोटाले की पुष्टि

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: समाज कल्याण विभाग की ओर से वितरित की गई फर्जी छात्रवृत्ति घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आने वाला है। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में इस मसले पर हुई शिकायत पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी फाइल तलब कर ली है। इसी वर्ष आठ मार्च को गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में दस करोड़ के घोटाले की पुष्टि की है। अंदेशा यह जताया जा रहा है कि यह घोटाला तकरीबन सौ करोड़ के आसपास का हो सकता है। यदि सरकार ने इसमें सही तरीके से जांच बढ़ाई तो समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ ही कुछ बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं।

समाज कल्याण विभाग में बीते वर्ष एक शिकायत आई थी। इसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में निजी आइटीआइ में पढ़ने वाले छात्रों के नाम पर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति ली गई है। इन छात्रों के एडमिशन व पढ़ाई का पैसा विभाग ने दिया है।

सच्चाई यह है कि इन निजी आइटीआइ में प्रदेश के किसी भी छात्र ने पढ़ाई नहीं की। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे लोगों को छात्रवृत्ति दी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। पूरे मामले में सौ करोड़ से अधिक घोटाले का अंदेशा जताया गया।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इसका संज्ञान लेते हुए विभाग को इस पर जांच करने को कहा था। कांग्रेस सरकार ने मामले की जांच कराई तो इसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई। इस पर मामले की जांच विजिलेंस से कराने की बात भी हुई, लेकिन बाद में यह मामला दब गया।

इस वर्ष चुनाव नतीजे निकलने से कुछ दिनों पहले शासन ने फिर से इसकी जांच शुरू की। अपर सचिव वी षणमुगम को इसका जांच अधिकारी बनाया गया। उन्होंने मामले की जांच में संबंधित विश्वविद्यालय, निजी आइटीआइ व समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता पाई।

सूत्रों की मानें तो उन्होंने दस करोड़ रुपये के घोटाले की बात कही है और माना जा रहा है कि यह धनराशि और बढ़ सकती है। मुख्यमंत्री ने एक शिकायत पर मुख्य सचिव एस रामास्वामी से यह फाइल तलब की है। सूत्रों की मानें तो यह फाइल मुख्य सचिव तक पहुंच चुकी है।

बीच जांच से हटाए गए षणमुगम

अपर सचिव समाज कल्याण यह जांच कर ही रहे थे कि इस बीच नई सरकार का गठन हो गया। इसके कुछ दिनों बाद इस मामले में जांच अधिकारी बदलने के निर्देश आए। सूत्रों की मानें तो उन्होंने हटने से पहले उन्होंने अपने द्वारा की गई जांच रिपोर्ट शासन में जमा करा दी है।

 

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