इको सेंसिटिव जोन पर केंद्र की नजरे उत्तराखंड पर भारी

देहरादून। इको सेंसिटिव जोन के मामले में केंद्र सरकार उत्तराखंड, हिमाचल और महाराष्ट्र को अलग-अलग नजर से देख रही है। चिंताजनक पहलू यह है कि केंद्र सरकार की नजरों का यह फेर 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड पर भारी पड़ रहा है। नवंबर 2015 में केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय की ओर से हिमाचल प्रदेश की पोंग, दरांग व चौल घाटियों में तीन इको सेंसिटिव जोन अधिसूचित किए गए। इन अधिसूचित क्षेत्रों में केंद्र ने 25 मेगावाट तक की जलविद्युत परियोजनाओं के विकास की छूट दी, मगर उत्तराखंड के भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में दो मेगावाट तक की परियोजनाओं की ही अनुमति दी गई है। भागीरथी इको सेंसिटिव जोनल प्लान के प्रस्तुतीकरण के दौरान उत्तराखंड ने केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी के समक्ष इस गंभीर मसले को पुरजोर ढंग से उठाया।
राज्य के अपर मुख्य सचिव वन पर्यावरण एस रामास्वामी के नेतृत्व में गई उत्तराखंड के अधिकारियों की टीम ने एक्सपर्ट कमेटी के समक्ष राज्य के भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में भी 25 मेगावाट तक की जलविद्युत परियोजनाओं के विकास की अनुमति दिए जाने की ठोस पैरवी की। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में भी केंद्र ने इको सेंसिटिव जोन में 25 मेगावाट के हाइड्रो प्रोजेक्ट अनुमन्य किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *