विपक्ष का सदन में हंगामा
देहरादून,। राज्य विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन विपक्ष ने अधिष्ठाता को लेकर सदन में जमकर हंगामा किया। विपक्षी सदस्यों ने वेल पर आकर अधिष्ठाता पर कार्यसूची फाड़कर उसके पर्चे व गोले फेंके, यही नहीं विपक्षी सदस्यों ने माइक भी उखाड़कर फेंक दिया। इस दौरान विपक्षी सदस्यों और मार्शलों के बीच हाथापाई भी हुई। समूचे विपक्ष ने वेल पर आकर जमकर नारेबाजी की। बाद में विपक्ष ने सदन से बहिगर्मन कर दिया।
पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही वंदेमातरम के साथ शुरु हुई। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल आसन पर आए लेकिन बैठे नहीं। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने अपने और डिप्टी स्पीकर के खिलाफ गत 18 मार्च को प्राप्त हुए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस का हवाला देते हुए स्पीकर की कुर्सी पर नहीं बैठने का निर्णय लिया। स्पीकर कुंजवाल ने अधिष्ठान मंडल के वरिष्ठ सदस्य और कांग्रेस विधायक नवप्रभाव को आगे की कार्यवाही के संचालन के लिए आमंत्रित किया। इस पर नवप्रभात अधिष्ठाता के रूप में स्पीकर के आसन पर आसीन हुए और सदन की आगे की कार्यवाही शुरु की। इसके बाद ही भाजपा ने हंगामा करना शुरू कर दिया। भाजपा ने आरोप लगाया कि यह असंवैधानिक है। स्पीकर द्वारा सदन संचालन के लिए अधिष्ठाता के रूप में नवप्रभात को आमंत्रित किए जाने पर समूचा विपक्ष भड़क गया और वेल पर आकर हंगामा शुरु कर दिया। विपक्ष द्वारा इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। विपक्ष द्वारा नवप्रभात से लगातार स्पीकर के आसन से नीचे उतरने की मांग की जाती रही, लेकिन जब उन्होंने आगे की कार्यवाही शुरु की तो विपक्षी सदस्य आग बबूला हो गए और कार्यसूची फाड़कर पर्चे और कागज के गोले पीठ की ओर फेंकने शुरु कर दिए। कागज के गोले कई बार अधिष्ठाता नवप्रभात के सिर पर भी लगे। विपक्षी सदस्य आक्रामक मुद्रा में पीठ की ओर बढ़ने लगे, इस पर मार्शल द्वारा विपक्षी सदस्यों को रोकने की कोशिश की गई तो कुछ विपक्षी सदस्यों ने माइक उखाड़कर मार्शल के साथ हाथापाई करने लगे। मारपीट की नौबत आते-आते बची। जब विपक्षी सदस्य पीछे नहीं हटे तो मार्शल ने पीठ के आगे घेराबंदी कर स्थिति को नियंत्रित किया। भाजपा का कहना था कि डिप्टी स्पीकर नहीं होने पर राज्यपाल द्वारा किसी सदस्य को अध्यक्ष के लिए नामित किया जाता है। स्पीकर द्वारा विधायक नवप्रभात को अधिष्ठाता के रूप में आमंत्रित किया जाना असंवैधानिक है। नवप्रभात पीठ पर बैठ ही नहीं सकते। इसके बाद विपक्षी विधायकों ने माइक और कुर्सियां पलटी कागज फाड़कर सदन में उछाले। भाजपा विधायक दलीप रावत काले कपड़े पहनकर सदन में पहुंचे थे। हंगामे के दौरान कुछ विपक्षी विधायक काले रूमाल भी लहरा रहे थे। विपक्षी सदस्य वेल पर लोकतंत्र की हत्या बंद करो, लोकतंत्र विरोधी सरकार नहीं चलेगी, फर्जी अध्यक्ष नहीं चलेगा आदि नारे लगाते रहे। अधिष्ठाता नवप्रभात नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट से बार-बार सदन को व्यवस्थित करने में मदद करने की अपील करते रहे लेकिन विपक्ष ने उनकी एक न सुनी। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट का कहना था कि नवप्रभात अन्यायपूर्ण तरीके से स्पीकर की पीठ पर आसीन हुए हैं। उनका कहना था कि सदन संचालन के लिए प्रोटेम स्पीकर की जरूरत है और प्रोटेम स्पीकर राज्यपाल ही नियुक्त कर सकते हैं। अधिष्ठाता मंडल सामान्य परिस्थिति के लिए होता है, जबकि यहां परिस्थिति सामान्य नहीं बल्कि असामान्य है। अधिष्ठाता को विधानसभा अवधारित करती है, जबकि नवप्रभात को केवल कांग्रेस के विधायकों ने अवधारित किया है। ऐसे में यह आपराधिक कृत्य है।