बिहार के दो नामचीन हस्तियों को मिला पद्म पुरस्कार, जानिए इनके बारे में खास बातें
पटना। केंद्र सरकार ने इस साल के लिए पद्म पुरस्कारों के नामों की घोषणा कर दी है। जिसमें बिहार के 2 नामचीन हस्तियों का भी नाम शामिल है और इन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मुंगेर के योग्य विद्यालय से जुड़े स्वामी निरजानंद सरस्वती को पद्म भूषण और मधुबनी पेंटिंग के लिए बउआ देवी को पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस बार किसी को भी भारत रत्न नहीं दिया गया है। गृह मंत्रालय ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म पुरस्कारों की तीन श्रेणियों के नामों की घोषणा की है। सरकार कई क्षेत्रों से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों को हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन पुरस्कारों से सम्मानित करती है।
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आइए जानते हैं पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बिहार की इन हस्तियों के बारे में
सबसे पहले हम आपको बताते हैं मिथिला पेंटिंग में नाम हासिल करने वाली बउआ देवी के बारे में। 13 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैनोवर में वहां के मेयर स्टीवन स्कॉस्टक को एक पेंटिंग भेंट की थी। यह पेंटिंग हैनोवर इंटरनेशनल फेस्टिवल के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था। जो पर्यावरण पर आधारित मिथिला पेंटिंग थी और उसे बिहार के ही बउआ देवी ने बनाया था। जिसे 18 हजार रुपए में दिल्ली हॉट से खरीदा गया था। मिथिला पेंटिंग में मधुबनी जिले के जितवारपुर की रहने वाली बउआ देवी का एक बड़ा नाम है।
74 वर्षीय बउआ देवी अपनी पेंटिंग की प्रदर्शनी के सिलसिले में देश के प्रमुख शहरों के साथ दुनिया के कई देशों में यात्रा कर चुकी हैं। वहीं मिथिला लोक चित्रकारी में वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजी जा चुकी हैं। उनका जन्म 1942 में एक परंपरागत मिथिला चित्रकार के परिवार में हुआ था। जिसकी वजह से उन्होंने महज 12 साल की उम्र में ही पेंटिंग बनानी शुरू कर दी और पेंटिंग के प्रति उनका प्रेम कुछ इस तरह था कि पांचवी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ वह पेंटिंग में रम गईं।
बउआ देवी रामायण, महाभारत और ऐसी अन्य कृतियों समेत दंतकथाओं और उसके पात्रों को भी अपने चित्रकारी के जरिए जीवंत कर चुकी हैं। आज वह मिथिला पेंटिंग की अगली कतार में हैं। पिछले साल उपेंद्र महारथी संस्थान ने मिथिला पेंटिंग कि जिन हस्तियों की संक्षिप्त जीवनी को पुस्तक का स्वरूप दिया था उसमें बउआ देवी का नाम सबसे ऊपर है और अब पद्मश्री पुरस्कार भी बउआ देवी की मिथिला पेंटिंग का सम्मान है।
अब हम बात करते हैं बिहार के निरजानंद सरस्वती के बारे में जिन्हें पद्म पुरस्कार से नवाजा गया है। स्वामी निरजानंद सरस्वती का जन्म 14 फरवरी 1964 को छत्तीसगढ़ के राजनंदा गांव में हुआ था। उन्हें जन्म से ही योगी माना जाता है। सत्यानंद योग के संस्थापक सत्यानंद सरस्वती ने उन्हें निरजानंद का नाम दिया था। 10 साल की उम्र में वह एक सन्यासी बने थे उसके बाद 11 साल की उम्र में वह विदेश चले गए।
विभिन्न संस्कृतियों की एक समझ प्राप्त करने वह स्वदेश लौटे और सत्यानंद योग आश्रम स्थापित करने में मदद की। इसके बाद निरजानंद बिहार योग विद्यालय के प्रधान नियुक्त किए गए। अगले 11 साल के लिए वह गंगा दर्शन, शिवानंद गणित और योग रिसर्च फाउंडेशन में अनुसंधान और विकास गतिविधियों से जुड़ गए। अभी वर्तमान में निरजानंद बिहार के प्रचार योग्य से जुड़े हैं और भारतीय योगा मुंगेर में अपनी सेवा दे रहे हैं।
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Source: hindi.oneindia.com