लहराया मातृशक्ति का परचम, 66 हजार लोगों को दे रही रोजगार

देहरादून : विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में महिलाओं को यहां की आर्थिकी की रीढ़ यूं ही नहीं कहा गया है। गांव-देहात में घर-परिवार की जिम्मेदारियां निभाने के साथ ही वह दिनभर खेतों में खटती है तो बदली परिस्थितियों में उद्यमशीलता में भी पीछे नहीं है। षष्ठम आर्थिक गणना के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में 31419 महिलाएं न सिर्फ खुद के उद्यम संचालित कर रही हैं, बल्कि इनके जरिए 66 हजार लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

महिलाओं ने खेत खलिहानों से आगे बढ़कर उद्यमिता के क्षेत्र में कदम बढ़ाए हैं तो इसे बदलती नारी के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। 65.46 फीसद साक्षरता दर का नतीजा है कि वे किसी भी मामले में पुरुषों से पीछे नहीं है। उद्यमिता भी इसी की बानगी है। षष्ठम आर्थिक गणना के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो राज्य के ग्रामीण इलाकों में 20279 उद्यम महिला उद्यमियों द्वारा संचालित किए जा रहे, जबकि नगरीय क्षेत्रों में 11140।

यानी वे खुद के पैरों पर खड़े होने के साथ ही अन्य लोगों को रोजगार मुहैया करा रही हैं। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है और उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में सरकार के संबल के साथ ही मातृशक्ति की मजबूत इच्छाशक्ति के बूते वह बुलंदियों के आसमान पर चमक बिखरेंगी।

महिलाओं द्वारा संचालित उद्यम 

जनपद                संख्या           कार्यरत लोग 

उत्तरकाशी          673             1108

चमेाली               884              1477

रुद्रप्रयाग            321               684

टिहरी                841               1871

देहरादून            5098              10555

पौड़ी                1354                2579

पिथौरागढ़        3130                4228

बागेश्वर           389                  646

अल्मोड़ा           3721                5492

चंपावत            734                  1039

नैनीताल           2850                5867

ऊधमसिंहनगर   4847                10541

हरिद्वार            6577                19916

(स्रोत: सांख्यिकी डायरी उत्तराखंड) 

ये योजनाएं भी बन सकती हैं 2018 की उम्मीद 

नारी सशक्तीकरण के लिए राज्य की मौजूदा सरकार पूरी मुस्तैदी से जुटी है। फिर चाहे वह ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान हो अथवा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की पहल। इस कड़ी में तमाम योजनाएं संचालित की गई हैं। यदि सरकार ने इस दिशा में पूरी गंभीरता से कदम बढ़ाए तो 2018 में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

मुख्य योजनाएं 

सबला व किशोरी शक्ति

विभिन्न कारणों के चलते स्कूल छोडऩे वाली बालिकाओं को इन योजनाओं में आंगनबाड़ी अथवा एनजीओ के माध्यम से रोजगारपरक प्रशिक्षण

प्रधानमंत्री मातृत्व

धात्री महिलाओं को पौष्टिक आहार देने के साथ ही बच्चे के जन्म लेने पर छह हजार की राशि का भुगतान।

निराश्रित विधवा (पेंशन) भरण-पोषण :- ऐसी विधवाओं, जिनकी आयु 18 से 60 वर्ष के बीच और मासिक आय एक हजार से अधिक नहीं है, उन्हें प्रतिमाह 800 रुपये पेन्शन।

अन्य योजनाएं 

-परित्यक्त विवाहित महिला, निराश्रित महिला, मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों की पत्नी एवं निराश्रित अविवाहित महिलाओं के लिए भरण-पोषण अनुदान

-निर्भया सेल

-सामान्य जाति की महिलाओं व लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति

-दहेज पीड़ित महिलाओं के लिए कानूनी सहायता योजना और आर्थिक सहायता

-त्रिस्तरीय पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण

-वन पंचायत सरपंच पदों पर भी इसी प्रकार के आरक्षण की कवायद

महिला सशक्तीकरण और बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि राज्य में मातृशक्ति के सशक्तीकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उनकी सुरक्षा के साथ ही उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दिलाने के लिए सरकार कृत संकल्प है। हमारी कोशिश हैं उत्तराखंड की बेटियां लगातार बुलंदियां छूकर देवभूमि का नाम रोशन करें।

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