क्या सोनभद्र से कांग्रेस की जमीन को यूपी में मजबूत कर पाएंगी प्रियंका गांधी?

देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह की घटनाएं हो रही हैं पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सक्रियता उत्तर प्रदेश में ही ज्यादा है। प्रियंका गांधी की यह सक्रियता ऐसे समय में है जब उनकी पार्टी पूरी तरीके से शिथिल पड़ी हुई है और नेता नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर लगातार मंथन कर रहे हैं। ऐसे में प्रियंका की इस सक्रियता के कई मायने निकाले जा रहे हैं। बता दें कि प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव से पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया था। उनके साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हाल में ही सोनभद्र में हुए हत्याकांड के बाद प्रियंका पीड़ितों से मिलने पहुंच गईं। प्रियंका के इस काफिले को पुलिस ने रोक दिया और बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया। सत्ता पक्ष प्रियंका पर इस मामले को लेकर राजनीति करने का आरोप लगा रहा है। प्रियंका भी डटी हुई हैं और पीड़ितों से मिलने की बात कह रही हैं। दरअसल, बुधवार को सोनभद्र के मूर्तिया गांव में जमीन विवाद को लेकर दो गुटों में झड़प हो गई और इसमें 10 लोगों की जान चली गई। यह विवाद जमीन कब्जाने को लेकर ग्रामीणों के बीच का था और बताया जा रहा है कि गांव के बाहरी इलाके में सैकड़ों बीघा खेत है जिस पर गांव के कुछ लोग पुश्तैनी तौर पर खेती करते आ रहे हैं। इस घटना के बाद योगी सरकार निशाने पर है। हालांकि इस मामले में यह भी कहा जा रहा है कि यह सीधा कानून व्यव्सथा से नहीं जुड़ा हुआ है। योगी ने भी इसे लेकर कांग्रेस पर प्रहार किया और कहा कि कांग्रेस के शासन काल के दौरान वनवासियों की जमीन को एक सोसायटी के नाम कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 1955 से 1989 तक यह जमीन आदर्श सोसायटी के नाम पर थी। 1989 में जमीन को एक व्‍यक्ति के नाम पर चढ़ा दिया। सोनभद्र के अलावा यूपी के संभल में दो पुलिसवालों की हत्या कर दी गई है और फैजाबाद में एक सपा नेता का मर्डर हुआ है पर प्रियंका का फोकस सोनभद्र पर ही है।

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