ब्लैक बजट क्यो है महत्वपूर्ण?

हर वर्ष की भांति भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1फरवरी को 2021-22 का आम बजट पेश किया। जिसकी देश का हर वर्ग चर्चा कर रहा है। लेकिन हम यहा आम बजट की चर्चा न करते हुए एक अन्य महत्वपूर्ण बजट जिसको ब्लैक बजट कहा जाता है। पर बात करेगे।जिस पर आम बजट की तरह न तो मीडिया आदि पर जल्दी से चर्चा होते देखी गयी है। न ही विचार विमर्श। लेकिन ब्लैक बजट पर बात करने से पूर्व यह जानना जरूरी है कि ब्लैक बजट होता क्या है। और इसको क्यो बनाया जाता है। ब्लैक बजट को सरल तरीके से ऐसे समझा जा सकता है।कि जब कोई देश आम बजट की धनराशि का कुछ भाग गुप्त आपरेशनो के लिये खर्च करने हेतू आवंटित करता है। तब इस आवंटित रकम को ब्लैक बजट कहा जाता है। देखने व सुनने मे आया है कि यह ब्लैक बजट बेहद गोपनीय होते है। यहा यह जानना बेहद दिलचस्प व रोचक हो सकता है। कि ब्लैक बजट को बनाने व इस्तेमाल करने वाले विश्व के ज्यादातर ताकतवर देश है। जिनमे मुख्य रूप से अमेरिका, रूस, फ्रांस, है। अमेरिका मे अनुमानित हर वर्ष करीब 700 अरब डॉलर का बजट पेश किया जाता है। तो इसका करीब 10 प्रतिशत ब्लैक बजट होता है, ऐसा माना जाता है। कि अमेरिका के रक्षा विभाग का यह बजट, ब्लैक प्रोजेक्ट को फंड करने के लिए होता है। यानि ऐसे प्रोजेक्ट जिन्हें रक्षा विभाग बेहद संवेदनशील, गोपनीय समझता है। अमेरिका का यह ब्लैक बजट 2008 मे 30 अरब डॉलर का था। जो 2009 मे 50 अरब डॉलर का का हो गया।सुनने मे यह भी आया है। कि लैटेस्ट डेटा के अनुसार ट्रंप प्रशासन के समय 2019 के ब्लैक बजट के लिए करीब 81अरब डॉलर की मांग की गई थी। अमेरिका के इस ब्लैक बजट की गम्भीरता को आप इससे समझ सकते है। कि यह ब्लैक बजट इतना बेहद गोपनीय होता है। कि अमेरिका में ब्लैक बजट से जुड़े कई प्रोजेक्ट चुने हुए प्रतिनिधियों व बडे-बडे अफसरों तक से छुपाए जाते है। यहा तक कि कांग्रेस के चुनिंदा लोग ही इसके बारे में जान पाते हैं। वो भी कोड नेम व गुप्त आंकड़ों के साथ। जहा तक अमेरिका में इस ब्लैक बजट की शुरूआत की बात है। इस ब्लैक बजट की शुरुआत अमेरिका मे नेशनल सिक्योरिटी एक्ट 1947 से हुई थी। अमेरिका के ब्लैक बजट के साथ ही अगर रूस के ब्लैक बजट को देखे तो रूस का ब्लैक बजट अमेरिका के ब्लैक बजट से ज्यादा बडा है। मास्को बेस्ट थिकं टैंक गैदर इंस्टीट्यूट के अनुसार माने तो 2015 मे रूस का ब्लैक बजट आम बजट के कुल बजट का करीब 21 प्रतिशत यानि करीब 3 ट्रिलियन रूबल था। जो कि 2010 के ब्लैक बजट की तुलना मे दोगुना था। कहा यह भी जाता है कि राष्ट्रपति पुतिन के कार्यकाल मे मिलिट्री का बजट भी काफी बढा है। जहा तक फ्रांस के ब्लैक बजट की बात है। फ्रांस में ब्लैक बजट को स्पेशल फंड्स के नाम से जारी किया जाता है। यह भी सुनने मे आता है। कि इस फंड का इस्तेमाल मंत्री गैर कानूनी ढंग से अपने लिए भी कर लेते है। वैसे फ्रांस मे ब्लैक बजट के संबंध में कोई कानून नहीं है। फिर भी हर साल ब्लैक बजट डिप्टियों के वोट से ही तय होता है। अब सवाल यह उठता है। कि विश्व के यह महा शक्तिशाली देश इतनी भारी भरकम धनराशि के ब्लैक बजट ऐसे कौन से गुप्त आपरेशन आदि के लिये बनाते है। जो सार्वजनिक ही नही किये जा सकते या करना ही नही चाहते। और इतनी बडी धनराशि जो खर्च तो होती है। लेकिन इसको कहा और कयो खर्च किया जा रहा है, इसकी जानकारी गुप्त रखने की क्या जरूरत व मजबूरी है, यह कया गम्भीर प्रश्न नही है? वैसे अमेरिकी सरकार दावा करती है। कि ब्लैक बजट का इस्तेमाल रक्षा संबंधी रिसर्च के लिए किया जाता है। जो विज्ञान व तकनीक से जुड़ा मामला है। ऐसी ही बात रूस भी करता है । लेकिन अमेरिका,रूस का यह कहना कहा तक तर्क संगत व सही है, व अमेरिका,रूस के ब्लैक बजट के इस्तेमाल का विश्व के आर्थिक,सामाजिक हालात पर व सौहार्द आदि बनाये रखने मे कितना योगदान है, गहन अध्ययन का विषय नही है ? वैसे बंगला देश के युद्ध के बाद सन 1973-74 में भारत के वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने भी जो बजट पेश किया था, उस बजट को भी ब्लैक बजट कहा गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि बजट में 56 करोड़ रुपये कोयला खदानों के राष्ट्रवाद के नाम पर यह कहते हुए आवंटित किए गए कि पावर, सीमेंट और स्टील उद्योगों में कोयले की सप्लाई को निर्बाध किया जायेगा। लेकिन, इस ब्लैक बजट का यह परिणाम देखने मे आया कि देश में कोयला उत्पादन बेहद प्रभावित हुआ और भारत को कोयले के लिए आयात तक करना पड़ा। उपरोक्त सब बातो पर गौर करने पर कई सवाल और जिज्ञासाए उत्पन्न होना स्वाभाविक है। कि क्या ब्लैक बजट इतना महत्वपूर्ण है। कि विश्व की महाशक्तिया इसको बनाने के लिये इतनी भारी भरकम रकम अपने आम बजट से तब भी आवंटित करती है। जब यह विश्व की महाशक्तिया विश्व मे आर्थिकमन्दी को भी स्वीकार करती है। ओर ऐसे हालात मे भी ब्लैक बजट के लिये भारी भरकम धनराशि आवंटित करती है। जब अमेरिका जैसे देश के कई बैक आर्थिक मन्दी के कारण लगभग फ़ेल हो गये थे। उपरोक्त सवालो व जिज्ञासाओ का समाधान करने के लिये भी आम बजट की तरह ब्लैक बजट पर भी मीडिया को व बुद्धिजीवियों, समाज मे चर्चा होनी चाहिए। जो कि होती नही है।     हरजिन्दर सिंह

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