भागीरथी ने बदली दिशा, गंगोत्री ग्लेशियर की दरारों में घुसा मलबा
उत्तरकाशी : आकाश गंगा नदी के उफान से गंगोत्री ग्लेशियर के रक्तवन हिस्से में बनी क्रेवास (दरारों) में मलबा जा घुसा। इसी मलबे की वजह से यहां भागीरथी नदी के बहाव की दिशा में तब्दीली आ गई। आकाश गंगा इसी जगह भागीरथी में मिलती है। इसका पता चलने के बाद गंगोत्री नेशनल पार्क की टीम ने मौका-मुआयना किया।
हालांकि, पार्क प्रशासन का कहना है कि उच्च हिमालयी इस क्षेत्र में यह सामान्य घटना है। फिर भी ग्लेशियर को कितना नुकसान पहुंचा है, इसके अध्ययन को वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान से आग्रह किया गया है।
वहीं, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव के मुताबिक उनके पास ग्लेशियर को नुकसान पहुंचने की कोई सूचना नहीं है। इस बाबत वाडिया संस्थान को पत्र भेजा गया है, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके।
3892 मीटर की ऊंचाई पर गंगा के उद्गम स्थल गोमुख के साथ ही इससे ऊपर 4500 मीटर की ऊंचाई पर तपोवन क्षेत्र में 16 जुलाई को जोरदार बारिश हुई। इससे गंगोत्री ग्लेशियर के बांयी ओर तपोवन क्षेत्र की शिवलिंग चोटी की तलहटी से निकलने वाली आकाश गंगा नदी उफान पर आ गई।
यह गोमुख से कुछ ही फासले पर गंगोत्री ग्लेशियर के रक्तवन हिस्से के पास भागीरथी नदी में मिलती है। उस दिन आकाश गंगा का बहाव अपने साथ बड़े पैमाने पर मलबा लेकर आया, जो रक्तवन ग्लेशियर से टकराया। साथ ही भागीरथी में भी काफी मलबा और पत्थर जमा हो गए। इससे भागीरथी के बहाव दिशा बायीं से दायीं ओर हो गई।
बुधवार को पार्क की एक टीम ने मौका मुआयना करने के बाद अधिकारियों को प्रारंभिक रिपोर्ट दी। पार्क के उप निदेशक श्रवण कुमार ने बताया कि आकाश गंगा के उफान से रक्तवन ग्लेशियर में पड़ी दरारों में भी मलबा घुसा है। इससे ग्लेशियर कितना नुकसान पहुंचा है, इसकी जांच के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान को पत्र भेजा गया है।
बता दें कि अभी तक गंगोत्री ग्लेशियर टूटने की चर्चाएं थी, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद यह साफ हो गया कि ग्लेशियर टूटा नहीं, बल्कि उसकी दरारों में मलबा घुसा है। इधर, भागीरथी में सिल्ट बढ़ने से उत्तरकाशी में मनेरी भाली प्रथम व मनेरी भाली द्वितीय जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।
गोमुख पैदल ट्रैक अभी बंद
भारी बारिश के चलते गंगोत्री-गोमुख ट्रैक कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हुआ है। बरसाती हमक्या नाले पर बनी अस्थायी पुलिया बह गई थी। हालांकि, पार्क प्रशासन ने वहां एक सीढ़ी लगाई है, मगर इसके जरिये नाले को पार करना खतरे से खाली नहीं है। इसके साथ चीड़वासा व भोजवासा के पास बनी छोटी -छोटी अस्थायी पुलियां भी सोमवार को बह गई थी। भोजवासा से पहले पड़ने वाले खड़ी ढांग नामक स्थान पर रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है।