उत्तराखंड में जनवरी महीने में -2 फीसदी कम हुई बारिश
देहरादून। उत्तराखंड में जनवरी माह में उम्मीद के अनुरूप बारिश नहीं होने से मौसम विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं। 26 जनवरी के बाद आने वाले तीन चार दिनों में कोई ऐसा सिस्टम विकसित होता नहीं दिख रहा जिससे लगे कि जनवरी माह के बचे हुए दिनों में कुछ बारिश हो और स्थिति थोड़ी संभले। अल्मोड़ा, देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार ही ऐसे जिले हैं जहां की बारिश को संतोषप्रद कहा जा सकता है। लेकिन बाकी जिलों में स्थिति अच्छी नहीं है। खासकर चम्पावत, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में बारिश का प्रतिशत माइनस में चला गया है। टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग में जनवरी माह में बारिश होने का मतलब है कि अच्छे हिमपात की उम्मीद लेकिन जनवरी माह के शुरुआती पखवाड़े को छोड़ दें तो पिछले दो हफ्ते से यहां बारिश नहीं हुई है। जनवरी माह खत्म होने को है और मौसम वैज्ञानिक ये जानकर चिंतित हैं कि फिलहाल कोई ऐसा सिस्टम नहीं दिख रहा जिससे बारिश का अनुमान लगाया जा सके। बीते 23 और 24 को एक सिस्टम बना था। लेकिन वह राज्य के ऊपर से गुजर गया। उत्तरकाशी के कुछ इलाकों को छोड़ कहीं बारिश नहीं हुई। पड़ोसी राज्य हिमाचल और जम्मू में इसी पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश हुई। लेकिन उत्तराखंड सूखा रह गया। बीते नवंबर माह में देखें तो राज्य में 34 फीसदी बारिश हुई। इसमें भी चम्पावत, अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़ में बारिश दर्ज नहीं की गई। दिसम्बर माह में भी राज्य के कई हिस्सों में बारिश काफी कम रही। जिससे कुल प्रतिशत माइनस 55 रहा। मौसम केन्द्र के निदेशक मैदानों में कोहरा और पहाड़ों में ओस के कारण जमीन को नमी मिल रही है। इसलिए सूखे जैसी स्थिति तत्काल नहीं आएगी। जनवरी माह के शुरूआती समय में जो बारिश मिली। उससे कई जिलों का औसत सुधर गया। लेकिन फरवरी भी इसी तरह कमजोर रहा तो स्थिति बिगड़ सकती है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि फरवरी माह में मौसम में सकारत्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जनवरी माह में नई फसल का समय नहीं है। पानी की जरूरतें ओस और कोहरे की नमी से पूरी हो रही हैं। इसलिए बारिश न होने पर भी इसे सामान्य स्थिति कहा जा सकता है। जिसकी पूर्ति एक ही बारिश में हो जाएगी। ग्लेशियर को इस समय बर्फ चाहिए जो लम्बे समय तक टिक सकती है। सदानीरा नदियों व प्राकृतिक स्रोत के लिए हिमपात बेहद जरूरी है।