यूपी सरकार सख्त, निजी अस्पताल कोरोना संक्रमितों से नहीं ले सकेंगे अधिक शुल्क

लखनऊ, । निजी अस्पतालों के ओर से कोरोना संक्रमितों के इलाज के नाम पर की जा रही लूट खसोट की शिकायतों पर शासन ने सख्त रुख अख्तियार किया है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग केयर, डॉक्टर विजिट और देखरेख के लिए शुल्क निर्धारित कर दिया है।
इसके बाद यदि कोई अस्पताल तय शुल्क से अधिक राशि लेता है तो उसके खिलाफ एपेडेमिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के अनुसार निजी अस्पतालों के लिए सभी सुविधाओं को शामिल करते हुए एक पैकेज तय किया गया है।इसमें कोविड केयर प्रोटोकाल के मुताबिक इलाज देने के लिए बेड, भोजन, नर्सिंग केयर, देखरेख, इमेजिंग, जांचें और डॉक्टर विजिट शामिल की गई है। पैकेज में डायबिटीज मरीजों के इलाज और हीमो डायलिसिस की सुविधा भी शामिल है। इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है।शासनादेश के अनुसार, आरटीपीसीआर टेस्ट और आईएल-6 टेस्ट को दर निर्धारण में शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा प्रयोगात्मक इलाज के रूप में शामिल रैमडेसिविर दवा शामिल नहीं है। गर्भवती महिलाओं का प्रसव, नॉर्मल या सीजेरियन, नवजात के इलाज पर होने वाले खर्च को अस्पताल आयुष्मान भारत योजना की दर पर अलग से ले सकता है, लेकिन योजना में शामिल मरीजों से प्रसव से संबंधित इलाज में कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। ऑक्सीजन व अन्य सुविधाओं के साथ प्रतिदिन की दर एनएबीएच अस्पताल के लिए 10 हजार रुपये और नॉन एनएबीएच अस्पताल के लिए 8 हजार रुपये निर्धारित की गई है। बिना वेंटिलेटर के लिए प्रतिदिन की दर एनएबीएच अस्पताल के लिए 15 हजार रुपये और नॉन एनएबीएच अस्पताल के लिए 13 हजार रुपये तय की गई हैं। इस श्रेणी में हाइपरटेंशन एवं अनियंत्रित डायबिटीज से पीड़ित मरीज भी शामिल हैं। एनएबीएच अस्पताल में प्रतिदिन 18 हजार और नॉन एनएबीएच अस्पतालों के लिए 15 हजार रुपये निर्धारित है। इस श्रेणी में हाई फ्लो नोजल कैनुला और बाईपेप की जरूरत वाले रोगियों का इलाज भी शामिल है।

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