अभ्युदय योजना के पीछे है दो अफसरों का हाथ

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ आज अभ्युदय योजना की शुरुआत की। इसे लेकर उन्होंने कहा कि इससे सिविल, एनआईआईटी और जी जैसे कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में युवाओं को मदद मिलेगी. प्रदेश के युवाओं को अब कोटा नहीं जाना पड़ेगा।
उद्घाटन के मौके पर सीएम ने अभ्युदय योजना शुरू करने के पीछे के खास कारण बताए। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के वक्त कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने की दिक्कत हो रही थी. हालांकि उन्हें किसी तरह से लाया गया. इस दौरान उनके मन में आया कि ऐसा क्या किया जाए कि प्रदेश के बच्चों को बाहर न जाना पड़े. इसे लेकर उन्होंने अधिकारियों को प्लान बनाने के निर्देश दिए. इसके बाद सीएम योगी को दो लोगों के प्रजेंटेशन पसंद आए।
सीएम योगी ने उन दो अधिकारियों के नाम भी बताए जिन्होंने सबसे पहले अभ्युदय योजना का खाका तैयार किया था. ये दोनों अधिकारी राजधानी ही में पदस्थ हैं। इनमें से एक आईजी रेंज लखनऊ आईपीएस लक्ष्मी सिंह और दूसरे लखनऊ मंडलायुक्त आईएएस रंजन कुमार हैं। इन दोनों ने सीएम योगी को अभ्युदय योजना को लेकर प्रजेंटेशन दिया था. यह प्रजेंटेशन सीएम योगी को काफी पसंद आए थे। इसके बाद सीएम योगी ने इन दोनों को इस योजना को जमीनी स्तर पर उतारने के निर्देश दे दिए।
लक्ष्मी सिंह सीएम योगी की खास मानी जाती हैं। वह 2000 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। उनकी गिनती प्रदेश के तेजतर्रार पुलिस अफरों में होती है। योगी सरकार ने उन्हें मई में लखनऊ की आईजी रेंज का चार्ज दिया था. इससे पहले वह मेरठ में आईजी पीटीएस के पद पर तैनात थीं।
लखनऊ में जन्मीं आईपीएस लक्ष्मी सिंह ने बीटेक किया और फिर समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन यानी एमए किया. 16 अगस्त 2014 में उनकी तैनाती बतौर डीआईजी आगरा में हुई थी। तेज तर्रार तरीकों वाली महिला अफसर के तौर पर पहचानी जाने वालीं आईजी लक्ष्मी सिंह फर्रुखाबाद, बुलंदशहर सहित कई जनपदों की पुलिस कप्तान रह चुकी हैं।
आगरा में रहते हुए अंबेडकर यूनीवर्सिटी के बड़े फर्जीवाड़े को खोलने के अलावा शमशाबाद बवाल में लॉ एंड ऑर्डर बहाल करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. आगरा में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद लक्ष्मी सिंह को मेरठ भेजा गया. उनकी ईमानदार और तेजतर्रारी से प्रभावित होकर योगी आदित्यनाथ ने उन्हें 2019 आईजी पद पर प्रोन्नत कर दिया. उन्हें साल 2020 में आईजी रेंज बनाया गया. आईपीएस लक्ष्मी सिंह बिकरू कांड की जांच भी कर रही हैं।
लरंजन कुमार भी 2000 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें पिछले साल लखनऊ के नए मंडलायुक्त के रूप में तैनात किया गया है. सितंबर 2020 के पहले वे यूपी पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट में सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे।
रंजन कुमार मूलतः नालन्दा बिहार के निवासी हैं. आईएएस के रूप में सहायक मजिस्ट्रेटध्सहायक कलेक्टर के रूप में अयोध्या से कार्य शुरू किया था. इसके बाद ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट कानपुर नगर, अलीगढ़ रहे और मुख्य विकास अधिकारी गोरखपुर के साथ जिलाधिकारी चित्रकूट, औरया, बलिया, बांदा, बागपत, प्रतापगढ़, शामली, अमरोहा, गोरखपुर में काम किया. शासन में ग्राम्य विकास, राजस्व, सिंचाई, चिकित्सा शिक्षा तथा वर्तमान में सचिव लोक निर्माण विभाग के पद पर कार्यरत थे. कमिश्नर के रूप में इन्हें मिर्जापुर के बाद लखनऊ मंडल की सेवा करने का अवसर मिला है।

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