दिल्ली से सटे इस इलाकों में नेताओं ने खपाया था काला धन, जानें पूरा मामला

नोएडा । जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की आहट के साथ ही देश और प्रदेश के नेता वहां जमीन खरीद में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने बिचौलियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर कालेधन को जमीन खरीद में खपाया। जिन गांवों की जमीन पर एयरपोर्ट का निर्माण होना है, वहां के किसान 60 फीसद जमीन बाहरी लोगों को बेच चुके हैं। तीस फीसद बैनामे पिछले तीन वर्षों में हुए हैं।

यह पर्दाफाश यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन व मेरठ मंडलायुक्त डा. प्रभात कुमार द्वारा कराई गई जांच में हुआ है। हालांकि, प्राधिकरण जमीन खरीदने वालों को अब तगड़ा झटका देने के मूड में है। कवायद हो रही है कि मुआवजे की 40 फीसद धनराशि मूल किसान के खाते में जाएगी।

पिछले तीन वर्षों में जमीन खरीदने वालों को कुल मुआवजे का 60 फीसद हिस्सा ही मिल पाएगा। जेवर एयरपोर्ट की घोषणा बसपा शासनकाल में 2007 में हुई थी। इसके साथ ही नेताओं ने जमीन पर दाव लगाना शुरू कर दिया था। सत्ता से जुड़े लोगों ने बिचौलियों के जरिये कसानों से कौड़ियों के भाव जमीन खरीदी।

सपा सरकार आने के बाद 2012 में जेवर एयरपोर्ट का प्रस्ताव रद कर दिया गया। सपा शासन में जेवर में जमीन की खरीद-फरोख्त बंद रही। केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद एयरपोर्ट की फिर से सुगबुगाहट के साथ ही जेवर क्षेत्र में फिर से जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू हुई।

एयरपोर्ट की वजह से यह जमीन अब सोना बन गई है। जिस जमीन को कुछ ही महीने पहले मात्र दो से तीन लाख रुपये प्रति बीघा खरीदा गया, उसका अब करोड़ों में मुआवजा मिलेगा। किसानों से जमीन दो से तीन लाख रुपये प्रति बीघा खरीदी गई, लेकिन बैनामा डीएम सर्किल रेट से कराया गया।

डीएम सर्किल रेट हजारों में था। किसानों को सर्किल रेट के हिसाब से चेक के माध्यम से पैसा दिया गया। बाकी पैसा नकद भुगतान किया गया। इससे नेताओं का काला धन आसानी से खप गया।

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