देवभूमि में एक बार फिर खिलखिलाया पर्यटन

देहरादून । अक्टूबर के शुरुआती दिनों में पर्यटकों की आमद से देवभूमि में एक बार फिर पर्यटन जिस तरह खिलखिलाया है, उससे पहाड़ भी खुश है और पहाड़वासी भी। हो भी क्यों न, आखिर पहाड़ और पर्यटक एक-दूसरे के पूरक जो ठहरे। एक प्रकृति की अनुपम कलाकृति है तो दूसरा सौंदर्य का उपासक। दोनों ही एक-दूसरे के बिना अपूर्ण हैं। दूसरी तरफ पहाड़वासी इसलिए खुश हैं कि यह कलाकृति उनकी थाती है और पर्यटक उनकी आजीविका। आखिरकार, प्रदेश की 44 फीसद आमदनी का जरिया पर्यटन ही तो है। खैर, अब इस जरिये से कुहासा छंटने लगा है। पूरी उम्मीद है कि खुशहाली का सूरज जल्द ही अरमानों के आसमान में फिर चमक बिखेरता नजर आएगा। बीते सप्ताह सरोवर नगरी नैनीताल, तीर्थनगरी ऋषिकेश, हरिद्वार और मसूरी में जैसी भीड़ नजर आई, वह सुखद संकेत है। चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं की बढ़ रही संख्या ने इस अनुभूति को और मजबूती प्रदान की है।छह माह से ज्यादा वक्त तक मरुस्थल जैसी वीरानगी देखने के बाद प्रदेश में अब पर्यटन और तीर्थस्थल गुलजार हुए हैं तो खुश होना जायज है। लेकिन, इस खुशी के साथ जरूरी है कि एहतियात का भी पूरा ख्याल रखा जाए। बीते रविवार को जिस तरह केदारपुरी में एकाएक भीड़ उमड़ी और बाबा के दरबार में एक साथ तमाम श्रद्धालु नजर आए, उसे किसी हाल में जायज नहीं कहा जा सकता। ऐसे हालात कोरोना संक्रमण को बढ़ाने में सहायक साबित हो सकते हैं। आंकड़े गवाह हैं कि कोरोना का प्रसार सबसे ज्यादा उन्हीं जगहों से हुआ, जहां भीड़ अधिक थी। इसीलिए सुरक्षित शारिरिक दूरी के मानक को अमल में लाया गया। जहां भी इस मानक से दूरी बनाई गई, वहां हालात भयावह ही हुए हैं। इसलिए हमें खुद सजग रहना होगा, तभी सुरक्षित भी रह पाएंगे। प्रशासन को भी इस मोर्चे पर अब एक कदम आगे बढ़कर काम करना होगा।

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