उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के तीन साल पूरे
देहरादून । उत्तराखंड बनने के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता के भंवर में फंसा रहा। यहां जल्दी-जल्दी मुख्यमंत्री बदलते रहे। त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य में तीन साल पूरे करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं। सर्वाधिक पांच साल की सत्ता अकेले नारायण दत्त तिवारी के नाम दर्ज है। त्रिवेंद्र ने तीन साल सरकार चलाने वाले भाजपा के पहले मुख्यमंत्री का श्रेय भी हासिल कर लिया है। सरकार की तीन साल की उपलब्धियों और प्रदेश के समसामयिक मुद्दों पर मंगलवार को मुख्यमंत्री ने अपना नजरिया साफ किया।उन्होंने दावा किया कि जनता से किए 75 फीसदी वादे तीन साल में पूरे कर लिए गए हैं। रावत कहते हैं- हमारे सत्ता में आने से पहले यह धारणा थी कि सरकार माफिया चला रहा है। भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा था। सरकार बनाने के पहले दिन से ही हमने भ्रष्टाचार पर चोट की और आज भी जीरो टालरेंस के एजेंडे पर हम कायम हैं। जनता को भ्रष्टाचारमुक्त नेतृत्व चाहिए, वह हम दे रहे हैं।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि कर्मचारियों की हर मांग का समाधान सरकार के पास है। कुछ कर्मचारियों की हठधर्मिता आपत्तिजनक है। राज्यभर के जनरल-ओबीसी कर्मचारी पदोन्नति पर आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले को लागू करने की मांग को लेकर दो मार्च से हड़ताल पर हैं। इससे सरकारी कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे समय में जब उत्तराखंड के साथ ही देशभर में कोरोना वायरस महामारी से लड़ा जा रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को राज्य हित में वापस काम पर लौट आना चाहिए था। कुछ कर्मचारी नेताओं की हठधर्मिता से माहौल खराब हो रहा है। यह उचित नहीं है। कर्मचारी आचरण सेवा नियमावली में भी हड़ताल करना उल्लंघन है। यह पूछे जाने पर कि सरकार का पदोन्नति में आरक्षण को लेकर क्या स्टैंड है? सीएम बोले कि कर्मचारियों की हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।