पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान का चार धाम के तीर्थ पुरोहितों व हकहकूकधारियों ने कड़ा एतराज जताया

देहरादून । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान का चार धाम के तीर्थ पुरोहितों व हकहकूकधारियों ने कड़ा एतराज जताया है। तीर्थ पुरोहितों ने कहा है की पूर्व मुख्यमंत्री ने करोड़ों हिंदुओं की आस्था और श्रद्धा के केंद्रों को कमाई का जरिया बताकर देवस्थानम बोर्ड के उददेश्य साफ कर दिया है। कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान देवस्थानम बोर्ड की आय को जनता के सामने रखना चाहिए। चार धाम तीर्थ पुरोहित हकहकूक धारी महापंचायत के प्रवक्ता डॉ बृजेश सती ने कहा कि पूर्व सीएम ने जिस तरह से बयान जारी कर देवस्थानम बोर्ड के पक्ष में तर्क दिए गए हैं, उससे लगता है कि राज्य में आय के स्रोत्र सूख गए हैं और मंदिरों की कमाई से ही सरकार का खजाना भरेगा।कहा कि राज्य के चार धाम करोड़ों हिंदुओं की आस्था और श्रद्धा के केंद्र होने के साथ ही स्थानीय श्रद्धालुओं के आराध्य हैं, ऐसे में इन आस्था के केन्द्रों को कमाई का जरिया बताया जाना सनातनी परंपरा का अपमान है। डॉक्टर सती ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री ने भारत के कुछ प्रमुख मंदिरों की वार्षिक आय का ब्यौरा अपने बयान में दिया, लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि जिन मंदिरों का उल्लेख उन्होंने किया है वो वर्ष भर यात्रा के लिए खुले रहते हैं। जबकि उत्तराखंड के चार धाम केवल छह माह खुले रहते हैं।इसमें से भी केवल डेढ़ से दो माह की यात्रा काल रहता है। तिरूपति, साई मंदिर, सिद्दी विनायक मंदिर में जितने श्रद्धालु एक महीने में आते हैं, उससे कम यात्री यहां पूरे यात्राकाल में पहुंचते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को राज्य की इतनी ही चिंता थी तो 4 साल के अपने कार्यकाल के दौरान आय के नए स्रोत विकसित करते।

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