नगर निगम की कार्यप्रणाली एक बार फिर संदेह के घेरे में

देहरादून, । नगर निगम की देहरादून शहर को रात के अंधेरे में जगमग करने की योजना पर पलीता लगने लग गया है। जिस कंपनी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गयी। उसने नगर निगम की सारी मशा पर पानी फेरने का काम कर दिया है। हालात यह है कि निगम अब कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी कर रही है।
प्रदेश की राजधानी देहरादून में बिजली की खपत कम करने और शहर की सड़कों को रात में रोशन करने के लिए नगर निगम देहरादून और ईईएसएल कंपनी के बीच 42 हजार सोडियम लाइट को बदल कर एलईडी लगाने का अनुबंध हुआ था, लेकिन एक साल बीत जाने पर हालात ऐसे बन रहे हैं कि निगम कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने पर विचार कर रहा है।
दून में मार्च 2017 के अंत में नगर निगम और ईईएसएल कंपनी के बीच हुए करार के तहत कंपनी को 31 अक्टूबर 2017 तक देहरादून नगर निगम क्षेत्र में 42000 सोडियम स्ट्रीट लाइटों को बदल कर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगानी थी, लेकिन एक साल बीतने के बाद कंपनी मात्र 30000 एलईडी स्ट्रीट लाइट ही लगा सकी है। इन लाइट्स में भी चमन विहार, हाथीबड़कला, जीएमएस रोड इलाकों में लगाई गई लाइट्स ठीक से काम नहीं कर रही है, जबकि अनुबंध के मुताबिक कंपनी को लाइटों की पांच साल तक मरम्मत भी करनी थी, लेकिन कंपनी के पास उचित संख्या में कर्मचारी नहीं होने के चलते ये लाइट्स खराब हैं और उनका मेंटिनेंस करने वाला कोई नहीं है। इन हालातों में आम जनका को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कंपनी की सुस्त चाल और कार्यप्रणाली को देखते हुए अब नगर निगम प्रशासन ईईएसएल कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी में हैं। इस मामले में लाईट स्ट्रेक्टर का कहना है कि हमने कंपनी की पेमेंट रोक दी है। जब नगर निगम के अधिकारी से वार्ता की गयी तो वे यह नही बता पाए कि कंपनी ने कहां कहां यह लाईटे लगाई है। इस मामले में नगर निगम के अधिकारियां की मिलीभगत से भी इंकार नही किया जा सकता। दून की जनता को पलीता लगाया जा रहा है।

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