राजधानी आजादी के बाद बहुत बदली पर कसर बाकी,जानिए 1947 से लेककर अबतक का दून
देहरादून। आजादी के बाद अभी तक देहरादून में काफी बदलाव आ चुका है। 1947 से आबादी से लेकर अब तक शहर में लाइफ स्टाइल काफी बदल चुका है। आबादी बढ़ने से सड़कों का आकार, लम्बाई, शहर का दायरा, सार्वजनिक वाहनों की संख्या बढ़ी है तो हम धीरे धीरे बासमती चावल की महक, चाय, लीची की मिठास को खोते जा रहे हैं। नहर, चूना और बेकरी उत्पादों के लिए प्रसिद्ध दून ने नया आवरण ओढ़ लिया है। देहरादून का विकास तो हुआ लेकिन अभी कुछ कसर बाकी है।1951 में दून जिले की जनसंख्या साढ़े तीन लाख तक थी।2011 की जनगणना के मुताबिक अब ये जनसंख्या 16 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। दून के इतिहास पर नजर रखने वाले देवकीनंदन पांडे के मुताबिक, देश के स्वाधीन होने के साथ ही दून में भी बदलाव का दौर शुरू हुआ। 1940 से 1956 तक म्यूनिसिपल नियमावली के अनुसार देहरादून नगर क्षेत्र में मकान निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि का होना अनिवार्य था।इसीलिए डालनवाला, राजपुर रोड, बसंत विहार जैसे आवासीय इलाके विकसित हुए। आज भी इन्हें शहर के वीआईपी इलाकों में शुमार किया जाता है। आजादी के बाद हाल के ही कुछ वर्षों में दून में मोहकमपुर, अजबपुर, आईएसबीटी, बल्लीवाला, बल्लुपुर, लच्छीवाला, थानों रोड पर बडासी फ्लाईओवर की सौगात मिल चुकी है। डाट काली में पुरानी सुरंग के स्थान पर नई सुरंग बन चुकी है।
दून से दिल्ली का किराया 11 से 350 रुपये पहुंच गया
1950 में मसूरी से दिल्ली का किराया 12 रुपया दस आना व सहारनपुर से मसूरी का अपर क्लास का किराया चार रुपया एक आना व लोवर क्लास का तीन रुपया था। जबकि देहरादून से दिल्ली का किराया करीब 11 रुपये तक था। मौजूदा समय में देहरादून से दिल्ली का साधारण बस का किराया 350 रुपये व वॉल्वो बस का किराया 750 रुपये तक है। देहरादून से दिल्ली की दूरी करीब 250 किलोमीटर है।
बैंक
स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व व स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद तक देहरादून में कार्यरत बैंकों में एलाइन्स बैंक ऑफ इंडिया, इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया, मसूरी बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, भारत बैंक, मंसाराम बैंक, भगवान दास बैंक, हिमालय बैंक, पंजाब नेशनल बैंक थे