कर्णप्रयाग में स्वयम्भू आध्यात्मक संगीत समारोह
विष्णुपदी अलकनंदा और पिण्डरगंगा के संगम से पावन हुई इस नगरी में अक्टूबर ४ से ७ तक आध्यात्ममक संगीत का एक अनोखा संगम होगा
कर्णप्रयाग/ रूद्रप्रयाग। दशहरे के शुभ अवसर पर चमोली जनपद की तीर्थनगरी कर्णप्रयाग में एक भव्य आध्यात्मक संगीत उत्सव का आयोजन किया गया है। विष्णुपदी अलकनंदा और पिण्डरगंगा के संगम से पावन हुई इस नगरी में अक्टूबर ४ से ७ तक आध्यात्ममक संगीत का एक अनोखा संगम होगा। राजकीय स्नातकोत्तर महाववद्यालय के प्रांगण में, स्वयम्भूसोशल फाऊंडेशन द्वारा आयोजित इस उत्सव का उद्घाटन साँय ५ बजे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री माननीय श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी करेंगे। कर्णप्रयाग व विधायक श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी जी इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।भारतीय शास्त्रीय गायन परम्परा के सुपरचित व्यक्तिव मधुप मुद्गल प्रथम दिवस ४ अक्टूबर कोअपना गायन प्रस्तुत करेंगे। परम्परा और आधुनिकता के बीच नाजुक संतुलन उनकी गायकी की विशेषता है । विश्व में अपनी ख्याल और भजन प्रस्तुतियों के चलये जाने वाले पंडित मधुप मुद्गल को सन २००६में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया है । केदारनाथ जी और बद्रीनाजी केस्तुति के अलावा आप कबीर गान और र्निगुनी भजन प्रस्तुत करेंगे।शनिवार ५ अक्टूबर को दो लोक कलाकार, उज्जैन निवासी श्री तारा सिंह डोडवे और राजस्थान नागोर के श्री लक्ष्मण द्वारकि कबीर भजन और सूफी गायकी प्रस्तूत करेंगे।रविवार ६ अक्टूबर को प्रसद्धि लोक कलाकार श्रीमती हेमा नेगी करासी गढ़वाली जागर प्रस्तुत करेंगी। आप उत्तराखंड की पहली महिला हैं जो नन्दा से लेकर नागराजा, पंडो और अन्य कई देवी देवताओं के जागर को स्वर से सजाया है।उत्सव के अन्तिम दिन, अक्टूबर ७ को इंदौर के दो जुडवां बहनें ड़ा० विभा और ड़ा० आभा चौरसिया कबीर भजन के जुगलबंदी गायन प्रस्तुत करेंगी। स्वर और आवाज की दुनियां में एक दूसरे के पूरक ये दोनों बहनों को संगीत मैं डाक्टरेट की उपाधि मिल चुका है।इस संगीत उत्सव के प्रायोजन गैल, दजचबए दीचब और टाटा सॉन््स ने किया है। भारत सरकार के उदयपुर स्थित ू्रबब और उत्तराखंड सरकार के संस्कृति विभाग हमारे इस प्रयास में सहयोग का बढ़ाया है ।