आदर्श विद्यालयों को लेकर खींचतान तेज,उत्तराखंड में अटल नाम चुनावी नैया खेवनहार

देहरदून । उत्तराखंड में अटल नाम चुनावी नैया खेवनहार है। प्रदेश भाजपा ही नहीं, मुख्यमंत्री और तमाम मंत्री इसे बखूबी समझते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त शेष नहीं रह गया। सरकार ने सोच-समझकर पोटली खंगाली। आदर्श विद्यालय योजना तैयार कर इसका नामकरण अटलजी के नाम पर किया गया। हर ब्लॉक में दो-दो आदर्श विद्यालय बनाने का फैसला हुआ है। शिक्षा महकमा कई दिनों की मशक्कत के बाद 174 आदर्श विद्यालयों का चयन कर पाया है। कुल 95 ब्लॉकों में 190 विद्यालय चयनित किए जाने हैं। अब भाजपा के ही विधायकों में ये होड़ लगी है कि उनके क्षेत्र के माध्यमिक विद्यालय का चयन इस योजना में हो जाए। शेष बचे 16 आदर्श विद्यालयों को लेकर खींचतान तेज है। विधायक उम्मीद लगाए हुए हैं। सरकार को 16 के इस आंकड़े से 99 के फेर में फंसने का डर सता रहा है। डर से निपटने को होमवर्क शुरू हो चुका है।अटल आदर्श विद्यालय योजना के बहाने प्रदेश की भाजपा सरकार ने खुद को कांग्रेस के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर दिया है। अब कोशिश यह की जा रही है कि भाजपा की मौजूदा सरकार की ओर से खींची गई लाइन कांग्रेस से ज्यादा लंबी तो नजर आए ही, सरकारी शिक्षा के प्रति आम जनता में भरोसा भी पैदा हो। कांग्रेस की पिछली सरकार ने भी विधानसभा चुनाव में जाने से पहले आदर्श विद्यालय योजना लांच की थी। प्रत्येक ब्लॉक में पांच-पांच सरकारी विद्यालयों को आदर्श बनाने का निर्णय लिया गया था। इनमें दो प्राथमिक, एक-एक उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल व इंटर कॉलेज को शामिल किया गया था। यह तय किया कि आदर्श विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। योजना में चयनित विद्यालयों में संसाधन जुटाने की मुहिम तेज की गई, लेकिन शिक्षकों का बंदोबस्त करने में विभाग के पसीने छूट गए। असर दिखने से पहले सरकार बदल गई थी।

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