सादे पानी की भाप लें, स्टेरॉयड के विकल्प के तौर पर ले सकते हैं आयुर्वेदिक दवाएं

भोपाल । कोरोना के इलाज में आयुर्वेदिक दवाएं भी बहुत कारगर साबित हो रही हैं। अलग-अलग आयुर्वेद संस्थानों में शोध के बाद केंद्रीय आयुष विभाग ने मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली दवा आयुष-60 को कोरोना के इलाज के लिए भी कारगर बताया है। इसमें सप्तपर्ण, चिरायता, कुटकी व कुबेराक्ष मिला है। पिछले साल भी इस दवा के उपयोग से कई मरीज गंभीर होने से बचे तो कई जल्दी स्वस्थ हो गए हैं। यह कहना है मानसरोवर आयुर्वेद कॉलेज में प्रोफेसर डॉ राकेश पांडेय का, जिन्घ्होंने कोरोना का आयुर्वेद के जरिए मुकाबला करने को लेकर और भी कई उपयोगी टिप्घ्स दिए।डॉ पांडेय ने कहा कि इस समय कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड भी कई चिकित्सक दे रहे हैं। इसके अपने फायदे होंगे, लेकिन नुकसान भी कम नहीं हैं। लोगों में शुगर का स्तर बढ़ जा रहा है। जिनकी शुगर की पारिवाररिक हिस्ट्री है या डायबिटीज प्रारंभिक अवस्था में हैं, उन्हें हमेशा के लिए डायबिटीज होने का डर भी रहता है।इसके विकल्प के तौर पर ब्रम्ह रसायन और चंद्रप्रभा वटी ले सकते हैं। इसके अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं। स्टेरॉयड लेने के साथ भी यह दवाएं ले सकते हैं। इससे स्टेरायड कम मात्रा में और कम दिन तक लेना पड़ेगा। महासुदर्शन घनवटी और त्रिभुवन कीर्ति रस भी कोरोना में काफी कारगर साबित हो रहा है। खांसी से बचाव के लिए गुनगुने पानी में नमक और हल्दी डालकर गार्गल करें। बाहर से आ रहे हैं तो सादे पानी की भाप जरूर लें। दिन में तीन से चार बार भाप ले सकते हैं। कई लोग पानी में दूसरी चीजें भी डाल रहे हैं, यह यह ठीक नहीं है। जब तक वायरस नाक से ज्यादा अंदर नहीं जाता, भाप से इसे नष्ट किया जा सकता है। 100 से 200 की संख्या में वायरस पहुंचने पर ही आप संक्रमित होते हैं। भाप या गार्गल से फेफड़े में पहुंचने के पहले ज्यादातर वायरस मर जाते हैं।

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