केजरीवाल सरकार की ‘गलती’ से दिल्ली की हजारों दुकानों पर सीलिंग का खतरा
नई दिल्ली । संसद के दोनों सदनों में दिल्ली लॉज (स्पेशल प्रोविजन एक्ट 2017) पारित होने व केंद्र सरकार द्वारा कनवर्जन शुल्क की दरें निर्धारित करने के बाद कुछ व्यापारियों को फौरी तौर पर सीलिंग से राहत मिल गई है। लेकिन, 351 सड़कों पर स्थित उन दुकानों पर अभी भी सीलिंग की तलवार लटकी हुई है जिन्हें दिल्ली सरकार द्वारा व्यावसायिक (कमर्शियल) एवं मिश्रित भू उपयोग (मिक्स्ड लैंडयूज) के लिए अधिसूचित नहीं किया गया है।
दरअसल, 2007 और 2009 में एकीकृत दिल्ली नगर निगम ने 351 सड़कों को चिह्नित कर इनके कमर्शियल एवं मिश्रित भू उपयोग के लिए सूची तैयार दिल्ली सरकार के पास भेजी थी, लेकिन अभी तक यह सड़कें अधिसूचित नहीं हो पाई हैं।
इन सड़कों पर हजारों की संख्या में दुकानें खुल चुकी हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष तिलकराज का कहना है कि यदि दिल्ली सरकार ने इन सड़कों को अधिसूचित कर दिया होता तो आज व्यापारी परेशान नहीं होते।
क्या होती हैं कमर्शियल एवं मिश्रित भू उपयोग सड़कें
दिल्ली में रिहायशी इलाके की ऐसी सड़कें जिन पर 70 फीसद से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं, उन्हें कमर्शियल सड़कें कहा जाता है। जिन सड़कों पर 50 से 70 फीसद के बीच व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं उन्हें मिश्रित भू उपयोग सड़कें कहा जाता है। मिश्रित भू उपयोग के तहत सिर्फ भवन के ग्राउंड फ्लोर का कमर्शियल उपयोग हो सकेगा।
जारी रहेगी सीलिंग
केंद्र द्वारा कनवर्जन शुल्क की दरें निर्धारित करने के बाद दिल्ली के करीब 106 बाजारों को लाभ मिलेगा। लेकिन, कृषि योग्य भूमि पर बनीं दुकानें और उक्त 351 सड़कों पर स्थित दुकानों पर सीलिंग की कार्रवाई होगी। सोमवार को फिर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में सीलिंग की कार्रवाई हो सकती है।