अधिकारियों की कमी से जूझ रहा उत्तराखंड, केंद्र से वापस भेजने की गुहार
देहरादून : प्रदेश सरकार इन दिनों अधिकारियों की कमी से जूझ रही है। आलम यह है कि सचिव स्तर से प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के लिए नियत 25 अधिकारियों के सापेक्ष केवल छह ही अधिकारी तैनात है। अधिकारियों की इस कमी को पूरा करने के लिए फिलहाल अपर सचिवों को प्रभारी सचिव का दायित्व देकर काम चलाया जा रहा है। इस कड़ी में शासन की ओर से केंद्र को पत्र लिखकर प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों को वापस करने की गुहार लगाई गई है।
प्रदेश में भाजपा सरकार के सामने प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करने की चुनौती है। इसके साथ ही सरकार को केंद्र की योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों की सेवाएं नहीं मिल पा रही है। प्रदेश के आइएएस अधिकारियों के ढांचे पर नजर डालें तो यहां आइएएस स्तर के अधिकारियों के लिए 120 पद स्वीकृत हैं। इसमें मुख्य सचिव से लेकर अन्य राज्यों से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों के पद शामिल हैं। इन स्वीकृत पदों के सापेक्ष प्रदेश में अभी तकरीबन 80 आइएएस ही तैनात हैं। इनमें भी सचिव व उनसे उच्च स्तर के अधिकारियों की संख्या केवल छह है।
हाल ही में प्रमुख सचिव के पद पर तैनात डॉ. उमाकांत पंवार भी स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके हैं। इसके चलते सरकार को कई अपर सचिव स्तर के अधिकारियों को प्रभारी सचिव का दायित्व देते हुए विभाग सौंपे गए हैं। एक आइएएस अधिकारी औसतन आठ से लेकर 15 विभाग तक देख रहे हैं। इससे सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
इसे देखते हुए सरकार की ओर से कुछ समय पूर्व कार्मिकों की स्थिति की समीक्षा की गई। इस दौरान यह देखा गया कि प्रदेश से इस समय 12 अधिकारी केंद्र और अन्य राज्यों में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं। इसके बाद कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से एक पत्र बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया, जिसमें प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों में से प्रमुख सचिव व सचिव स्तर के अधिकारियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया गया है। हालांकि, केंद्र से अभी तक इसका कोई उत्तर नहीं मिला है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार इस संबंध में फिर से केंद्र को रिमाइंडर भेजने की तैयारी कर रही है।