हिमालय और हिम तेंदुओं की सुरक्षा को अब ऐसा कदम

देहरादून : चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के गंगोत्री-गोविंद लैंडस्कैप से लेकर अस्कोट सेंचुरी तक फैले उच्च हिमालयी क्षेत्र में जैवविविधता के साथ ही स्थानीय समुदायों की आजीविका भी अब महफूज रहेगी।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से उत्तराखंड समेत चार हिमालयी राज्यों में संचालित की जाने वाली ‘सिक्योर हिमालय’ परियोजना के लिए 11.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बजट को हरी झंडी दे दी गई है। उत्तराखंड के हिस्से में करीब 25 करोड़ रुपये की राशि आएगी। इससे उच्च हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं के संरक्षण व वासस्थल विकास को कदम उठाने के साथ ही लगभग 60 गांवों के निवासियों को लाभ मिलेगा।

‘सिक्योर हिमालय’ परियोजना देश के चार हिमालयी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व सिक्किम में संचालित की जानी है। उत्तराखंड में इसके लिए गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वन्यजीव विहार और अस्कोट वन्यजीव विहार के दारमा-व्यास घाटी क्षेत्र को शामिल किया गया है।

जैव विविधता के लिए मशहूर ये क्षेत्र हिम तेंदुओं का भी घर हैं। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि इन संरक्षित क्षेत्रों से लगे गांवों के लोग दिक्कतों से भी दो-चार हो रहे हैं। इनमें गोविंद वन्यजीव विहार के 43 और अस्कोट के 17 गांव शामिल हैं।

स्थिति ये है कि गोविंद वन्यजीव विहार में पड़ने वाले 35 गांव अभी तक सड़क से अछूते हैं, जबकि अन्य सुविधाओं की राह में भी वन कानून रोड़ा बने हैं।

ऐसे में सिक्योर हिमालय परियोजना से इन क्षेत्रों की तस्वीर बदलने की उम्मीद जगी है। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती के मुताबिक हाल में दिल्ली में इस परियोजना को लेकर हुई बैठक में बजट को मंजूरी दे दी गई। उन्होंने बताया कि सितंबर अथवा अक्टूबर में परियोजना में शामिल राज्यों को बजट आवंटित होने की उम्मीद है। बजट मिलते ही गंगोत्री से लेकर अस्कोट तक के क्षेत्र में कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

तीन बिंदुओं पर रहेगा फोकस

उत्तराखंड में सिक्योर हिमालय परियोजना के नोडल अधिकारी एवं अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक धनंजय मोहन के अनुसार मुख्य रूप से परियोजना तीन बिंदुओं पर केंद्रित है। इसमें जैव विविधता की सुरक्षा, हिम तेंदुआ समेत दूसरे वन्यजीवों का संरक्षण व उनके लिए वासस्थल विकास और संरक्षित क्षेत्रों से लगे गांवों में आजीविका विकास शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि आजीविका विकास में इको टूरिज्म, जड़ी-बूटी व फलोत्पादन, रोजगारपरक प्रशिक्षण, उत्पादों का विपणन, चारा विकास योजना जैसे बिंदु शामिल होंगे।

पता चलेगा कि यहां कितने हिम तेंदुए

उच्च हिमालयी क्षेत्र की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं के लिए गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविंद व अस्कोट वन्यजीव विहार भी प्रसिद्ध हैं। यहां विभिन्न स्थानों पर लगे कैमरा ट्रैप में इनकी तस्वीरें कैद हुई हैं। सिक्योर हिमालय परियोजना में हिम तेंदुओं की गणना के मद्देनजर कैमरा ट्रैप की संख्या बढ़ाई जाएगी।

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