देश की सेवा करना चाहती है शहीद राजेंद्र नेगी की बेटी
देहरादून। शहीद राजेंद्र सिंह नेगी की बेटी अंजली भी पिता की तरह देश सेवा करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह पढ़-लिखकर सेना में अफसर बनेंगी और देश के साथ अपने परिवार का नाम रोशन करेंगी। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी अंजली कक्षा आठ में पढ़ रही हैं। नम आंखों और रूंधे गले से अंजली ने बताया, लापता होने से पहले आखिरी बार जब पिता से बात हुई थी तो उन्होंने कहा कि घर आने पर पूरे परिवार को हवाई जहाज में बैठाकर घुमाने ले जाएंगे, लेकिन यह बात अब सिर्फ एक याद बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि पिता के लापता होने की खबर मिलने के बाद बीते आठ महीने बेहद खराब गुजरे। यह जीवन का सबसे बुरा दौर रहा। बकौल अंजली बेटे की वापसी की आस में आठ माह से उनके दादा-दादी की आंखों से आंसू थमे नहीं हैं। हमारे भी रात-दिन पिता की याद में रोते-रोते गुजरे। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ एक ही लक्ष्य है, सेना में भर्ती होना और अपने परिवार का ध्यान रखना। आठ माह तक शहीद की पत्नी राजेश्वरी उनके लौटने का इतंजार करती रहीं। जब भी घर में फोन की घंटी बजती तो पूरा परिवार इस उम्मीद में उत्साहित हो जाता कि शायद कोई अच्छी खबर हो, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगती थी। मई में पति को शहीद घोषित किए जाने के बाद भी राजेश्वरी ने उनके लौटकर आने की उम्मीद नहीं छोड़ी। हालांकि, नियति को कुछ और ही मंजूर था और 15 अगस्त को शहीद का पार्थिव शरीर मिलने के साथ उनकी उम्मीदें भी टूट गईं।शहीद राजेंद्र सिंह नेगी के नाम पर गुसाईं चैक पर शहीद द्वार बनाने व राजकीय जूनियर हाईस्कूल अंबीवाला का नाम शहीद राजेंद्र सिंह के नाम पर रखने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा गया है। प्रेमनगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वीरू बिष्ट ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को ई-मेल के माध्यम से ज्ञापन में परवल मार्ग से शहीद के घर तक की सड़क का नाम शहीद के नाम पर रखने की मांग की है।