तो लखनऊ में होगा लंबित मसलों का निस्तारण
देहरादून : उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच एक बार फिर परिसंपत्तियों के बंटवारे और परिवहन करार पर बात आगे बढ़ने की उम्मीद जगी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के 20 दिसंबर को प्रस्तावित लखनऊ दौरे पर एक बार फिर दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच इस पर चर्चा संभावित है। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य के भी 20 दिसंबर को प्रस्तावित लखनऊ दौरे के मद्देनजर यह माना जा रहा है कि इस दिन परिवहन समझौते के मसौदे पर सहमति बन सकती है।
राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। प्रदेश के दस से अधिक विभाग ऐसे हैं जिनमें परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर कदम तो उठे, लेकिन अभी तक इन पर सहमति नहीं बन पाई है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनने के बाद अभी तक केवल 36 नहरें ही उत्तराखंड को वापस मिल पाई है। शेष अन्य विषयों पर अभी भी दोनों प्रदेशों के बीच चर्चा चल रही है।
विभाग जिनके लंबित हैं मामले
- सिंचाई विभाग: नहरों का हस्तांतरण हो गया है लेकिन अभी 214 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण होना बाकी है।
- ग्राम्य विकास: उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को उत्तराखंड सरकार की ओर से निर्बल आवास योजनाओं के अंतर्गत ऋण समाधान व ऋण देनदारी देनी है। इस पर चर्चा चल रही है।
- पंचायती राज: उत्तर प्रदेश रिवाल्विंग फंड में उत्तराखंड के 13 जिलों की जिला पंचायतों की जमा धनराशि पर अर्जित ब्याज देने का मसला ठंडे बस्ते में है।
- औद्योगिक विकास विभाग: उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग को अनुबंध के अनुसार बकाया ब्याज के 15 करोड़ से अधिक धनराशि देनी है। इस पर भी चर्चा चल रही है।
- तराई बीच एवं तराई विकास परिषद: परिषद को उत्तर प्रदेश से अभी तक 8.80 करोड़ की धनराशि नहीं मिल पाई है। हालांकि अब मिलने की संभावना काफी कम है।
- उत्तराखंड बहुद्देशीय वित्त विकास निगम: उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास विकास निगम और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा वर्ष 2000 की बैलेंस शीट के आधार पर होना है। मामला बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।
- परिवहन निगम: लखनऊ जिला मुख्यालय और दिल्ली स्थित राज्य अतिथि गृह की परिसंपत्ति का बंटवारा, पर्वतीय विकास विभाग से प्राप्त ऋण उत्तराखंड को चुकाना पड़ रहा है। इस पर दोनों की समान जिम्मेदारी देय। इसके अलावा सबसे अहम परिवहन करार है, जिसके आधार पर दोनों राज्यों के बीच बसों का संचालन होना है।