उत्तराखंडः स्थानीय निकायों में करोड़ों के सरकारी धन की लूट

देहरादून | प्रदेश के नगर निकाय मैदान हों या पहाड़, हर कहीं विकास को लेकर टकटकी बांधे बैठे आम आदमी के भरोसे को तोड़ने  में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हालत यह है कि करोड़ों की धनराशि बैंक खातों में बगैर किसी ब्योरे के अनुपयोगी पड़ी है तो इस पर ब्याज के रूप में मिलने वाली रकम डकारी जा रही है या कहां जा रही है, इसका ब्योरा देने को निकाय तैयार नहीं हैं।

नगर निगम हों या छोटी नगरपालिकाएं, ठेकेदारों पर प्यार इस कदर लुटा रही हैं कि आयकर हो या व्यापार कर या प्रोक्योरमेंट नियमावली, कायदे-कानून को जहां-तहां ताक पर धरा गया है। दो नगर निगमों हल्द्वानी और रुड़की समेत सात निकायों ने ऑडिट रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है।  बीते वर्षों में तकरीबन 50 करोड़ के सरकारी धन का दुरुपयोग कर वित्तीय अनियमितता का नायाब उदाहरण पेश किया गया है।

चहेते ठेकेदारों को मनमाफिक तरीके से काम देने और विज्ञापन ठेकों के बहाने निकायों और सरकार को राजस्व का चूना लगाने में निकायों का अंदाजे-बयां लाजवाब है।

जी हां, विज्ञापन ठेकों में धनराशि की बंदरबांट या तय कीमत से कम ही धनराशि में काम चलाने का खुलासा जांच में हुआ है। भवन कर की वसूली और पुनरीक्षण में जमकर लापरवाही बरती जा रही है। तहबाजारी शुल्क, लाइसेंस शुल्क और भवन कर वसूल करने में लापरवाही से निकायों को चूना लग रहा है।

हल्द्वानी नगर निगम

पहले नगरपालिका और अब निगम का कमाल देखिए कि वर्ष 2006 में शहर सौंदर्यीकरण के लिए मिली 134.62 करोड़ की धनराशि का अब तक सदुपयोग नहीं हुआ। बगैर टेंडर के ही 35.67 लाख की पथ प्रकाश सामग्री खरीद डाली।

कार्यदायी संस्था पर मेहरबानी बरसाते हुए अनुबंध के बगैर ही 157.23 लाख की धनराशि जारी कर दी गई। खर्च की गई धनराशि का हिसाब-किताब सही तरीके से नहीं रखा जा रहा। नगर निगम में करीब 6.50 करोड़ की धनराशि का दुरुपयोग हुआ है।

रुड़की नगर निगम

निगम में प्रोक्योरमेंट नियमों को दांव पर लगाकर सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग किया गया। ठेकेदारों से मनमाने ढंग से काम कराया गया। गृहकर का 92.34 लाख अवशेष, तहबाजारी शुल्क 2.78 लाख, दुकानों का किराया 26.46 लाख एवं अन्य आय 32.94 लाख यानी कुल 154.52 लाख के राजस्व को लेकर निगम ने उदासीनता बरती है।

मैसर्स इन्वाइस इलेक्ट्रानिक्स को काम दिए, लेकिन आयकर व बिक्रीकर कटौती नहीं की गई। इससे सरकारी राजस्व को चूना लगा। 8.93 लाख रुपये से विद्युत सामग्री की खरीद समेत निगम में 2.04 करोड़ की वित्तीय अनियमितता सामने आई है।

नैनीताल नगरपालिका

दुर्गापुर आवासीय योजना की डीपीआर में शामिल अभ्यर्थियों के बजाए अलग से लोगों को आवास बांट दिए गए। ठेकेदार को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया गया तो कई मामलों में अधिक खर्च तो किया गया, लेकिन उसका वेरिएशन स्टेटमेंट बनाने की जरूरत महसूस नहीं की गई। लापरवाही का अंदाजा इससे लग सकता है कि निकाय में भवन कर की वसूली का सही अंदाजा तक लगाया नहीं जा सका है। इस निकाय ने करीब 9.03 करोड़ के सरकारी धन में अनियमितता बरती।

News Source: jagran.com

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