विवाद और बगावत के धुंध में सुप्रीम कोर्ट, सदमे में न्यायिक समुदाय और राजनीतिज्ञ

नई दिल्ली । विवादों को सुलझाने वाली शीर्ष न्यायिक संस्था सुप्रीम कोर्ट खुद ही विवाद और बगावत के धुंध में घिर गया है। एक अभूतपूर्व घटना में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ सार्वजनिक मोर्चा खोलते हुए आगाह कर दिया कि संस्थान में सबकुछ ठीक नहीं है और स्थिति नहीं बदली तो संस्थान के साथ साथ लोकतंत्र खतरे में है।

खुलकर सामने आई आंतरिक कलह

मीडिया के सामने आने के न्यायाधीशों के चौंकाने वाले फैसले ने न सिर्फ आंतरिक कलह को खोलकर सामने रख दिया है बल्कि कानूनविदों को भी खेमे में बांट दिया। पूरे दिन सुप्रीम कोर्ट मे भी गहमागहमी रही और यह अटकल भी चलती रही कि मुख्य न्यायाधीश भी अपना पक्ष रख सकते हैं। बताते हैं कि मुख्य न्यायाधीश ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से जरूर कुछ चर्चा की। लेकिन खुद मीडिया से दूर रहे।

 लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ में दिखी मोटी दरार 

शुक्रवार का दिन सुप्रीम कोर्ट के इतिहास मे अभूतपूर्व घटना के रूप में दर्ज हो गया। यूं तो कई मसलों पर कोर्ट के अंदर मतभेद की चर्चा होती रही है, लेकिन शुक्रवार को बगावत हुई। लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ में मोटी दरार दिखी। जस्टिस जे.चेलमेश्वर के आवास पर जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने मीडिया से रूबरू होते हुए आरोप लगाया कि ‘सुप्रीम कोर्ट प्रशासन में सबकुछ ठीक नहीं है और कई ऐसी चीजें हो रही है जो नहीं होनी चाहिए। अगर यह संस्थान सुरक्षित नहीं रहा तो लोकतंत्र खतरे में होगा।’

संभवत: लंबे अर्से से चल रही थी खींचतान

जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि चारो जजों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को कुछ दिनों पहले पत्र लिखकर अपनी बात रखी थी। शुक्रवार को भी सुबह उनसे मुलाकात कर शिकायत की लेकिन वह नहीं माने और इसीलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए उन्हें मीडिया के सामने आना पड़ा। उन्होंने मीडिया को सात पेज की वह चिट्ठी भी वितरित की जो जस्टिस मिश्रा को लिखी गई थी। उस पत्र में मुख्य रूप से पीठ को केस आवंटित किए जाने के तौर तरीके पर आपत्ति जताई गई है। न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के एक मुद्दे का तो पत्र में उल्लेख है लेकिन माना जा रहा है कि यह खींचतान लंबे अर्से से चल रही थी और संभवत: सीबीआइ जस्टिस बीएच लोया की मौत का मुकदमा तात्कालिक कारण बना जिसपर शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट के अन्य बेंच में सुनवाई थी।

बीस साल बाद कोई बोले कि उन्होंने अपनी आत्मा बेच दी- जस्टिस चेलमेश्वर

अपने आवास के लॉन में खचाखच भरे मीडिया कर्मियों से रूबरू जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि उन्हें बहुत भारी मन के साथ प्रेस के सामने आना पड़ा है क्योंकि ‘वह नहीं चाहते बीस साल बाद कोई बोले कि उन्होंने अपनी आत्मा बेच दी।’ सुप्रीम कोर्ट में तनातनी का आलम क्या है इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि चिट्ठी में ही चारो जज ने साफ किया कि ‘मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम नहीं है। पीठ को केस आवंटित करने का उनका अधिकार भी केवल सामान्य परंपरा का हिस्सा है, कानून नहीं।’

जस्टिस गोगोई ही  बनने वाले हैं अगले मुख्य न्यायाधीश

एक सवाल के जवाब में जस्टिस रंजन गोगोई ने रैंक तोड़ने की बात से इंकार करते हुए कहा – ‘वह देश के प्रति अपने ऋण को चुका रहे हैं।’ ध्यान रहे कि जस्टिस गोगोई ही अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। वैसे चारो न्यायाधीश वरिष्ठतम हैं और कालीजियम में मुख्य न्यायाधीश के अलावा यही चारों हैं। यह पूछे जाने पर क्या वह जस्टिस मिश्रा का महाभियोग चाहते हैं, जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा- ‘अपने शब्द मेरे हमारे मुंह में न डालिए।’

चार वरिष्ठ जजों के खुले विद्रोह का क्या असर होगा यह तो बाद का सवाल है लेकिन शुक्रवार को ही पूरा कानूनी समुदाय भी बंटा हुआ दिखा। कुछ ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कुछ ने इन चारो जजों के खिलाफ महाभियोग की भी बात कर दी।

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