उत्तराखंड पुलिस के सिपाहियों की छह से मिशन महाव्रत की चेतावनी
देहरादून : मिशन आक्रोश के बाद अब मिशन महाव्रत ने राज्य पुलिस की चिंता बढ़ा दी है। दो दिन बाद तय मिशन महाव्रत से पहले पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिये बगावत पर उतरे दो सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया है। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के प्रभारियों की बैठक लेकर अनुशासन बनाए रखने का सर्कुलर जारी कर दिया है। एलआईयू को पूरे मामले पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस के सिपाहियों की समस्याओं से जुड़ा गुमनाम पत्र सितंबर और नवंबर माह में मुख्यमंत्री के नाम भेजा गया। इस पत्र में सिपाहियों ने छह जनवरी से मिशन महाव्रत की चेतावनी दी थी। पुलिस मुख्यालय समेत एलआईयू इसे लेकर राज्यभर में पुलिस कर्मियों की गतिविधियों पर पहले से नजर रखे हुई थी। कुछ दिन पहले चमोली जिले में सिपाहियों ने मिशन महाव्रत नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाते हुए आंदोलन को हवा देने की कोशिशें कीं। मगर इसकी रिपोर्ट चमोली की एलआईयू ने तत्काल पुलिस मुख्यालय और एसपी को सौंपी। इसी रिपोर्ट के चलते एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने सभी जिला प्रभारियों की बैठक लेते हुए सतर्क रहने को कहा। साथ ही सिपाहियों को हिदायत दी कि अनुशासन तोडऩे पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा। एडीजी ने कहा कि चमोली के दोनों सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया है। कुछ और को चिह्नित किया जा रहा है।
ढाई साल पहले दो हुए थे बर्खास्त
16 अगस्त 2015 को मिशन आक्रोश के नाम से आंदोलन चलाया गया था। उस दौरान कुछ सिपाहियों ने काली पट्टी बांधी, पुलिस लाइन की मेस में खाने से इन्कार समेत अन्य कदम उठाए थे। तब 22 अगस्त को डीजीपी को स्थिति संभालनी पड़ी थी। बाद में 26 अगस्त को दो सिपाही बर्खास्त कर गिरफ्तार किए गए। जबकि तीन सस्पेंड किए गए थे। उसके बाद सिपाहियों की काफी मांगें हल भी हुईं।
गुमनाम पत्र में ये मांगें
ग्रेड वेतनमान और भत्ते बढ़ाए जाएं। राजपत्रित अवकाश के बदले मानदेय मिले। ट्रेनिंग के दौरान का पूर्ण वेतन दिया जाए। अवकाश के बदले नकदीकरण की सुविधा दी जाए। सिविल और सशस्त्र पुलिस को भी विशेष भत्ता दिए जाए। पौष्टिक आहार भत्ता बढ़ाया जाए, समेत 14 सूत्री मांग पत्र दिया गया है।