लोकसभा में भी उठा फुटओवर ब्रिज और अंडरपास का मामला, नहीं बनी बात
नई दिल्ली । दिल्ली देहात में करीब आधा दर्जन रेलवे फाटकों पर बनने वाले फुटओवर ब्रिज और अंडरपास राजनीति के चक्रव्यूह में फंसकर रह गए। राष्ट्रमंडल खेलों से पहले इनका निर्माण कार्य पूरा करने की योजना तो बनाई गई। कुछ जगह तो काम ही शुरू नहीं हो पाया। सुल्तानपुरी में कार्य आरंभ हुआ मगर अधूरी हालत में ही छोड़ दिया गया। यह स्थिति तब है जब यह मसला कई बार लोकसभा में भी उठ चुका है।
बता दें कि पूरी दिल्ली में ऐसे 31 रेलवे फाटक चिन्हित किए गए थे जिन पर सड़क यातायात के बढ़ते दबाव के चलते फुट ओवर ब्रिज या अंडरपास बनाने की जरूरत महसूस की गई थी। दिल्ली सरकार ने यह योजना कॉमनवेल्थ खेल को ध्यान में रखते हुए बनाई थी।
सहूलियत से ज्यादा मुसीबत
उत्तरी एवं बाहरी दिल्ली में नरेला, किराड़ी, घेवरा, सुल्तानपुरी, सिरसपुर, रामपुरा, खेड़ा कला एवं मुंडका में ऐसे स्थान चिहिन्त किए गए, जिसमें से केवल मुंडका और सुल्तानपुरी में ही काम शुरू हो पाया। मुंडका में अंडर पास का निर्माण पूरा किया भी गया, लेकिन इसके निर्माण में बरती गई लापरवाही लोगों के लिए सहूलियत से ज्यादा मुसीबत बन गई है।
आंदोलन का रास्ता
मुंडका निवासी कृष्ण तिवारी का कहना है कि यहां साल में ज्यादातर दिन पानी ही भरा रहता है। सुल्तानपुरी में अंडरपास का निर्माण कार्य भी शुरू किया गया लेकिन उसे अधूरी हालत में छोड़ दिया गया, जिससे परेशान हो स्थानीय लोग अब क्षेत्रीय विधायक और निगम पार्षद पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए आंदोलन का रास्ता अख्तियार किए हुए हैं।
बड़ी समस्या है यातायात जाम
किराड़ी, घेवरा, खेड़ा कलां एवं नरेला में अनाज मंडी के समीप नरेला-बवाना मुख्य मार्ग पर तो काम ही शुरू नहीं हो पाया है। यह स्थिति तब है जब नरेला स्टेशन से होकर चौबीस घंटे में करीब 215 रेलगाड़ी गुजरती हैं ऐसे में अधिकांश समय रेलवे फाटक को बंद करना रेलवेकर्मियों की मजबूरी भी है। जिसका नतीजा यहां यातायात जाम के रूप में सामने आता है। हालांकि नरेला में एक अन्य अंडर पास का निर्माण हुआ, लेकिन वहां से छोटे वाहन ही गुजर पाते हैं। दूसरे राज्यों से अनाज मंडी पहुंचने वाले बड़े वाहनों के लिए यह रास्ता कतई सुगम नहीं है।
वोट बैंक की राजनीति
नियम के मुताबिक 66 फीट से ज्यादा चौड़ी सड़क पर ऐसे अंडरपास या फुट ओवर का निर्माण दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग को करना है घेवरा और नरेला की सडकें इसी श्रेणी में आती हैं तो 66 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर यह कार्य नगर निगम को करना है। मगर विडंबना यह है कि वोट बैंक की राजनीति इसमें आड़े आ रही है। इस कार्य को पूरा कराने के लिए क्षेत्र के लोग स्थानीय सांसद से लेकर मुख्यमंत्री दरबार तक में हाजिरी लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक केवल आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला है।
जनता भुगत रही है खामियाजा
ग्रामीण परिवहन विकास मंच नार्थ वेस्ट दिल्ली के महासचिव विजेन्द्र डबास का कहना है कि पहले दिल्ली की कांग्रेस सरकार ने इस इलाके की उपेक्षा की, पूर्वी दिल्ली में तमाम रेलवे फाटकों पर अंडरपास या फुटओवर ब्रिज बना दिए गए। मगर यहां कुछ भी नहीं किया जिसका खामियाजा अभी तक लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
News Source: jagran.com