रद्दी देकर शिक्षा ले रहे गरीब बच्चे, उड़ रहे सपनों की उड़ान

देहरादून : ‘सब पढ़ें, सब बढ़ें’ जैसे नारे को साकार कर रहे हैं ऋषिकेश के डॉ. राजे नेगी। मलिन बस्ती में ‘सपनों की उड़ान’ को परवाज दे रहे नेगी ने स्थापित किया एक स्कूल ‘उड़ान’। स्कूल में आज 45 बच्चे अपने भविष्य की राह प्रशस्त कर रहे हैं। इन बच्चों से फीस के रूप में वसूली जाती है अखबार की रद्दी।

डा. राजे नेगी ने 2015 में 35 बच्चों के साथ उड़ान स्कूल खोला। वह बताते हैं कि घर में एजुकेशन का ही माहौल रहा है। पिता और भाई के मन में हमेशा से ही था कि एक स्कूल खोलना है। लेकिन, मैं एक ऐसा स्कूल खोलना चाहता था जो कहीं न हो। यह बात जब मैंने अपने दोस्त को बताई तो उन्होंने मुझे इस कांसेप्ट के बारे में बताया। फिर मैंने फैसला किया कि स्लम एरिया के बच्चों को इस स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा। मैने सोचा फीस के तौर पर बच्चों से एक रुपये रोजाना लिया जाए, यदि कोई बच्चा एक रुपये रोजाना भी नहीं दे सकता तो वो अखबार की रद्दी देकर भी एजुकेशन ले सकता है।

डॉ. राजे बताते हैं कि प्ले ग्रुप तक के इस स्कूल में केवल वही बच्चा ऐडमिशन ले सकता है जो झोपड़-पट्टी में रहता हो। अपना या किराये का मकान होने पर उसे स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाता है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए चार शिक्षक हैं।

प्ले ग्रुप में भी सिखाई जाती है गढ़वाली 

हर बच्चा गढ़वाली बोल और समझ सके, इसी उद्देश्य से उड़ान स्कूल में एलकेजी से ही बच्चों को गढ़वाली पढ़ाई जाती है। साथ ही, स्कूल में सुबह प्रार्थना भी गढ़वाली में ही होती है। डॉ. राजे ने बताया कि स्कूल में लोकभाषा का पुस्तकालय भी है। जिसमें पूरा गढ़वाली साहित्य मौजूद है।

मेधावी छात्रों को दी जाती है मुफ्त कोचिंग 

हाल ही में डॉ. राजे नेगी ने मिस ग्रैंड इंडिया अनुकृति गुसाईं के साथ मिलकर क्षेत्र के मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की पहल की है।

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