राजभर नहीं मान रहे मोदी की सीख

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं को नसीहत दी थी कि वे अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने 27 अप्रैल को एक ऐसा बयान दिया जिसपर बवाल होना निश्चित है। श्री राजभर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी पिछले दिनों कड़ी चेतावनी दी थी। प्रदेश सरकार के खिलाफ श्री राजभर के बयानों को लेकर श्री अमित शाह ने कहा था कि जो व्यक्ति अपने चार विधायकों को राज्यसभा चुनाव के दौरान नहीं संभाल सकता, वह सरकार को सीख दे रहा है। अब श्री राजभर ने राजपूतों और यादवों पर शराब पीने का आरोप लगाया है।
वाराणसी में शराब बंदी के समर्थन की मांग पर श्री राजभर ने कहा कि शराब तो सभी पीते हैं लेकिन यादव और राजपूत सबसे ज्यादा पीते हैं। श्री राजभर ने कहा कि यादव और राजपूत बिरादरी सबसे ज्यादा शराब पीते है। क्योंकि ये उनका पुश्तैनी कारोबार है। अपनी राजभर बिरादरी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय सबसे ज्यादा आरोप राजभर बिरादरी पर लगाये जाते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि सबसे ज्यादा शराब यादव पीते हैं, राजपूत भी पीते हैं, ये उसका पुश्तैनी कारोबार है, उसको पीने का शौक है। इस तरह श्री राजभर ने खुलकर राजपूत बिरादरी और यादव बिरादरी पर आरोप लगाये हैं। यादव बिरादरी से उनका मतलब क्या हैं, यह नहीं बताया लेकिन श्री मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को इस पर आपत्ति हो सकती है। समाजवादी पार्टी का प्रमुख वोट बैंक यादव बिरादरी है। इसलिए कोई यादव बिरादरी को इस तरह से बदनाम करे तो सपाई इस पर धरना प्रदर्शन के लिए उतारू हो ही जाएंगे। इसी तरह राजपूत बिरादरी तो इस समय भाजपा का ही वोट बैंक माना जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी पर भी इस बिरादरी को प्राथमिकता देने का आरोप लग रहा है। इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि श्री राजभर ने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री श्री योगी को भी निशाना बनाया है।
श्री राजभर ने बाद में महसूस किया कि उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। इसलिए अपनी बात को संभालते हुए कहा कि शराब सभी लोग पीते है लेकिन शराब से बहुत लोग दुखी है। आपको इस दुख को देखना हो तो उसके पास जाइए जिसके भाई, बाप, परिवार के अन्य सदस्य शराब पीकर आते हैं। इसलिए शराबबंदी की मुहिम चला रहा हूं। शराब समाज व देश के विकास में बाधक है।

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